जमीं दुश्मन जमां दुश्मन जो अपने थे पराये हैं, सुनोगे दास्तां क्या तुम मेरे हाले-परीशां की ।
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जयंती पर विशेष
देश की आजादी के लिए हंसते हंसते प्राण न्यौछावर करने वाले अशफाक उल्ला खाँ हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रबल पक्षधर थे। काकोरी कांड के सिलसिले में 19 दिसम्बर, 1927 को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर चढ़ा दिया गया। अशफाक उल्ला खाँ ऐसे पहले मुस्लिम थे, जिन्हें षड्यंत्र के मामले में फाँसी की सजा हुई थी। उनका हृदय बड़ा विशाल और विचार बड़े उदार थे। हिन्दू मुस्लिम एकता से सम्बन्धित संकीर्णता भरे भाव उनके हृदय में कभी नहीं आ पाये। सब के साथ सम व्यवहार करना उनका सहज स्वभाव था। कठोर परिश्रम, लगन, दृढ़ता, प्रसन्नता, ये उनके स्वभाव के विशेष गुण थे।
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