Hindi, asked by aakanshasahu, 1 year ago

jan jan ki bhasha hindi


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Answered by mchatterjee
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अजीब दास्तां है मातृभाषा हिंदी की जिसे बोलना भी आज लोग बहुत कम पसंद करते हैं।

पाश्चात्य​ संस्कृति ने भारतीय संस्कृति को तोड़ने की कसम तो मानो खा ही रखी है।

पहनावा तो पहले ही बदल दिया है अब भाषा को भी हटा देना चाहते हैं।

परंतु, हिंदी के बुरे दिन लाने में तो भारतीय ही मदद कर रहे हैं न । खुद हिंदी नहीं बोलकर अंग्रेजी सभ्यता में रम जाना चाहते हैं।

हिंदी में त्याग और समर्पण है जो किसी अन्य
भाषा में नहीं है।

हिंदी ही भारतीय की पहचान है। जिस हिंदी खत्म उस दिन सब खत्म।

हिंदे बोले एवं बोलवाएं।
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