Jan Lokpal ki Bharat mein kishne Awaaz uthai thi
Answers
भारत में पहली बार नियुक्ति होने जा रही है और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष का लोकपाल बनना लगभग तय है. ऐसे में जानते हैं लोकपाल से जुड़ी हर बात...
1967 में उठी थी लोकपाल की मांग, जानें- क्या हैं अधिकार और ड्यूटी
देश को अपना पहला लोकपाल मिलने वाला है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष भारत के पहले लोकपाल हो सकते हैं. जल्द ही उनके नाम की आधिकारिक घोषणा की जाएगी. लोकपाल की आधिकारिक घोषणा से पहले जानते हैं कि आखिर क्या है लोकपाल और इससे जुड़ी अहम बातें...
पीएम पर भी हो सकती है कार्रवाई
लोकपाल के पास प्रधानमंत्री से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक किसी भी जन सेवक (किसी भी स्तर का सरकारी अधिकारी, मंत्री, पंचायत सदस्य आदि) के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की सुनवाई का अधिकार होगा. लोकपाल अपने फैसले में संपत्ति कुर्क करने या जुर्माना लगाने जैसे आदेश भी दे सकता है. हालांकि वर्तमान प्रधानमंत्री और सेना लोकपाल के दायरे में नहीं है. इसलिए लोकपाल वर्तमान प्रधानमंत्री और सेना को छोड़कर किसी पर भी कार्रवाई कर सकता है.
साल 1967 में उठी थी मांग
विदेश में लोकपाल जैसी संस्था काफी साल पहले से है, लेकिन भारत में इसका प्रवेश साल 1967 में हुआ. उस वक्त पहली बार भारतीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने भ्रष्टाचार संबंधी शिकायकों को लेकर लोकपाल संस्था की स्थापना का विचार रखा था. हालांकि इसे स्वीकार नहीं किया गया था.
कई बार लोकसभा में हुआ पेश
उसके बाद भारत में साल 1971 में लोकपाल विधेयक प्रस्तुत किया गया, हालांकि उस वक्त पास नहीं हो पाया. उसके बाद 1985 में एक बार फिर इसे संसद के समक्ष पेश किया गया, लेकिन फिर भी यह पास नहीं हो सका. इसके बाद भी कई बार इसे लोकसभा में पेश किया गया, लेकिन हर बार इसमें किसी न किसी कारण से अड़ंगा लगता रहा.
2013 में हुआ विधेयक पास
उसके बाद इस बिल को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे ने एक अनशन किया और वो एक बड़ी लड़ाई में तब्दील हो गई. उसके बाद लोकसभा ने 27 दिसंबर, 2011 को लोकपाल विधेयक पास किया. फिर 23 नवंबर 2012 को प्रवर समिति को भेजने का फैसला किया. उसके बाद 17 दिसंबर 2013 को राज्यसभा में लोकसभा विधेयक पारित हुआ.
विदेश में लोकपाल?
कई देशों में लोकपाल को ओम्बड्समैन के नाम से जाना जाता है. फिनलैंड में 1918 में, डेनमार्क में 1954, नार्वे में 1961 और ब्रिटेन में 1967 में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए लोकपाल की स्थापना की गई.
कौन हो सकता है लोकपाल?
लोकपाल का एक अध्यक्ष होगा, जो या तो भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या फिर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज या फिर कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति हो सकता है. लोकपाल में अधिकतम आठ सदस्य हो सकते हैं, जिनमें से आधे न्यायिक पृष्ठभूमि से होने चाहिए. वहीं संसद सदस्य, विधायक, भ्रष्टाचार में दोषी, निगम का सदस्य इसका हिस्सा नहीं हो सकते.
कौन करता है चयन?
लोकपाल की चयन समिति में प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता, मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त किया गया एक सदस्य होता है. खास बात ये है कि उनके पद से रिटायर्ड होने के बाद भी कुछ साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.
लोकपाल के अधिकार
लोकपाल के दायरे में कुछ मामलों में लोकपाल के पास दीवानी अदालत के अधिकार भी होंगे. लोकपाल के पास केंद्र या राज्य सरकार के अधिकारियों की सेवा का इस्तेमाल करने का अधिकार, अपना प्रतिनिधि नियुक्त करने का अधिकार और कर्मचारियों को सेवा से हटाने, जुर्माना लगाने, संपत्ति जब्त करने का अधिकार होता है.