Hindi, asked by aryaparashar7445, 11 months ago

जनाब मोर के पंख होते है मोरनी के नही शेर के बाल होते है शेरनी के नही का सप्रसंग ब्याख्या करे

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Answered by shishir303
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जनाब मोर के पंख होते है, मोरनी के नही शेर के बाल होते है, शेरनी के नही।

संदर्भ : ये पंक्ति ‘रीढ़ की हड्डी’ से ली गईं है, जिसके रचनाकार ‘जगदीश चंद्र माथुर’ हैं।

प्रसंग :  यह प्रसंग उस समय का है, जब एकांकी में गोपाल प्रसाद रामस्वरूप से अपने लड़के के विवाह के संबंध में वार्तालाप करता है।

व्याख्या : गोपाल प्रसाद का इन पंक्तियों के माध्यम से कहने का अर्थ यह है कि पुरुष स्त्रियों से श्रेष्ठ होते हैं। प्रकृति ने नर को नारी से श्रेष्ठ बनाया है। मोर के पंख होते हैं मोरनी के नहीं, शेर के बाल होते हैं, शेरनी के नहीं। यानी पुरुषों का काम है पढ़ लिख कर काबिल बनना, स्त्रियां यदि पढ़-लिख जाएंगी तो घर के कामकाज कौन करेगा। स्त्रियों का काम घर संभालना है ना कि पढ़ लिख कर बाहर काम करना। इस तरह गोपाल प्रसाद पुरुषों को स्त्रियों से श्रेष्ठ मानता है। इसलिए उसने ऐसी पंक्तियां कहीं। इन बातों से गोपाल प्रसाद की संकीर्ण सोच की झलक मिलती है।

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