जन गंगा में जो आज से क्या अभिप्राय है
Answers
Answered by
0
Explanation:
thanks for getting point;)
Answered by
38
अर्थात कवि के कहने का ये तात्पर्य ये है, पराधीनता की जंजीरों से मुक्त हुये देश के नवनिर्माण के लिये 'जन गंगा में ज्वार' यानि 'देश की जनता का कर्म रूपी आंदोलन अपने चरम पर है', बस ये आंदोलन निरंतर चलता रहे, जब तक कि हम पराधीनता से हुई हानि की काली छाया से पूरी तरह मुक्त न हो जायें और अपने देश का नवनिर्माण न कर लें।
Thanks..
Similar questions