जन का प्रवाह अनन्त होताहै। सहस्त्रों वर्षों से भूमि के साथ राष्ट्रीय जनकिया है। जब तक सूर्य की रश्मियाँ नित्य प्रात: काल भवन को अमृत रसतक राष्ट्रीय व जन का जीवन भी अमर है। इतिहास के अनेक उतार-बाद भी राष्ट्र-निवासी जन नई उठती लहरों से आगे बढ़ने के लिए अजररात्तवाही जीवन नदी के प्रवाह की तरह है, जिसमें कार्य और श्रम के द्वारघातों का निर्माण करना होता है।(अ)जन का प्रवाह किस
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जब तक सूर्य की रश्मियाँ नित्य प्रात: काल भवन को अमृत रसतक राष्ट्रीय व जन का जीवन भी अमर है। इतिहास के अनेक उतार-बाद भी राष्ट्र-निवासी जन नई उठती लहरों से आगे बढ़ने के लिए अजररात्तवाही जीवन नदी के प्रवाह की तरह है, जिसमें कार्य और श्रम के द्वारघातों का निर्माण करना होता है। (अ)जन का प्रवाह किस
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