जनजाति समाज और कृषक समाज में अंतर स्पष्ट कीजिए
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कृषकवाद या भूमिसुधारवाद (agrarianism) एक सामाजिक और राजनैतिक दार्शनिक दृष्टिकोण है जिसमें ग्रामीण समाज को नगरीय समाज से ऊँचा ठहराया जाता है। इस विचारधारा के अनुसार स्वतंत्र कृषक किसी आय लेने वाली व्यवसायी नौकर से अधिक महान है और कृषि की जीवन-पद्धति द्वारा ही आदर्श सामाजिक मूल्यों की प्राप्ति हो सकती है। यह गाँव के सरल जीवन पर ज़ोर देती है और शहरों की हलचल और संकुल जीवनी की निन्दा।
Explanation:
जनजाति (tribe) वह सामाजिक समुदाय है जो राज्य के विकास के पूर्व अस्तित्व में था या जो अब भी राज्य के बाहर हैं। जनजाति वास्तव में भारत के आदिवासियों के लिए इस्तेमाल होने वाला एक वैधानिक पद है। भारत के संविधान में अनुसूचित जनजाति पद का प्रयोग हुआ है और इनके लिए विशेष प्रावधान लागू किये गए हैं।
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jantati our krishak saman me antar
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