जनजातीय कला प्रदर्शनी में क्या बताया गया था
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Answer--भारत के आदिवासियों का इतिहास आर्यों के आगमन से पूर्व का है। कई युगों तक इस उपमहाद्वीप के पहाड़ी भूभागों में उनका आधिपत्य था। परन्तु समय के साथ पढ़े लिखे लोगों ने (अन्य चीजों के अतिरिक्त) उन लोगों पर प्रभुत्व स्थापित कर लिया जिनकी परंपराएं मौखिक संस्कृति पर आधारित थी। औपनिवेशिक अवधि के दौरान, आदिवासियों को जनजातियों का नया नाम दिया गया और स्वाधीनता पश्चात भारत में उन्हें अनुसूचित जनजातियों के रूप में जाना गया। जनजाति के सत्व की व्याख्या ‘उद्भव के चरण’ के रूप में की गई जो समाज के एक रूप के विपरीत था। जब शिक्षा के केंद्रों की स्थापना हुई, तो यह व्याख्यान चुनिंदा समुदायों के सामाजिक-सांस्कृतिक मूल आधारों पर संकेंद्रित हो गया जिससे गैर-आदिवासी बच्चे आदिवासियों की संस्कृति की जानकारी से वंचित रह गए और आदिवासी बच्चे अपनी विरासत पर गौरव करने से वंचित रह गए।
मध्य प्रदेश और राजस्थान की जनजातीय कला और संस्कृति
भील जनजाति
मध्यजप्रदेश के भील
राजस्थाान के भील
भील कलाकारों की रूपरेखाएं, चित्रकारियां, श्रव्य और दृश्य क्लिप
मध्यप्रदेश के गोण्ड
गोण्ड अथवा कोईतुरे
गोण्ड कलाकारों की रूपरेखाएं, चित्रकारियां, श्रव्य और दृश्य क्लिप
डाउनलोड करें (ऑडियो) गंगूबाई, मल्लीि बाई, भूरी बाई झेर द्वारा गाय गए भील गीत