जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो।
खरचैं नहिं कोई चोर न लेवै, दिन-दिन बढ़त सवायो।। summary of this quote
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usne sab kuuch paa liya hai(bus itna hii aata hai humko bhi jaana hai ye answer
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मीराबाई कहती है कि मुझ पर प्रभु की कृपा हुई है तभी मुझे उनकी अनमोल भक्ति का प्रसाद मिला है। इस प्रसाद को सहज ग्रहण करके मैं प्रभु की कृपा मात्र बन गई हूं। मैंने इस भक्तिरूपी धन की प्राप्ति से मानो जन्मों की पूंजी अर्जित कर ली है और क्षणिक भौतिक सुख-संसाधनों, रिश्ते-नातों का त्याग कर दिया है। यह पूँजी ऐसी है जो खर्च करने से खत्म नहीं होती बल्कि दिन दूनी,रात चौगुनी बढ़ती है। भक्ति का प्रचार - प्रसार करने से न केवल स्वयं में आराध्य के प्रति विश्वास सुदृढ़ होता है बल्कि अन्यों में भी भक्ति-भाव का उदय होता है।
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