जननी जन्मभूमिश्च पर निबंध | Write an essay on My Motherland in Hindi
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"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसे"
भूमिका:-> जन्म देने वाली माँ और जन्मभूमि दोनों स्वर्ग से भी बढ़कर हैं I देश प्रेम से मतलब भौगोलिक सीमाओं में बंधे किसी भूमि के टुकड़े से प्यार करना मात्र नहीं है, देश उसमें बसे लोगों के पारस्परिक संबंधों से बनता है I
किसी देश में रहने वाले लोग जब सामाजिक सांस्कृतिक तथा भावात्मक एकता का अनुभव करते हैं तो वह एक देश या एक राष्ट्र के अंतर्गत आता है I देश प्रेम से अभिप्राय उस भूभाग में बसे इन लोगों के रहन-सहन संस्कृति ऐतिहासिक विरासत और जीवन मूल्यों से प्रेम करने से है। हिंदी राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने देश प्रेम को अति अनिवार्य बताते हुए लिखा है-
"भरा नहीं जो भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं।
हृदय नहीं पत्थर है वह, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"।
स्वदेश प्रेम:->
"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसे"
भगवान श्री राम की यह वह पंक्तियां हैं जब उन्होंने लंका के राजा रावण का वध कर दिया था और पूरी लंका को जीत लिया था I तब उन्होंने लक्ष्मण से यह वाक्य कहे थे यह लक्ष्मण मुझे यह सोने की लंका बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती क्योंकि जन्म देने वाली और जन्मभूमि दोनों स्वर्ग से भी बढ़कर है।
जब हमारा देश अंग्रेजों के अधीन था लोगों पर अत्याचार किए जा रहे थे तथा उनको अपने ही देश में बंदी बनाया गया था। गुलाम राष्ट्रों में वहां की जनता विदेशी शासकों के विरुद्ध संघर्ष करती है विद्रोह करती है कष्ट सहती है और अपने प्राणों की आहुति तक देकर आजादी प्राप्त करती है ऐसे राष्ट्र में देशभक्ति की कसौटी विदेशी सत्ता के विरोध के रूप में देखी जाती है।
भारत को भी आजादी दिलाने के लिए असंख्य राष्ट्र भक्त वीरों ने अपने प्राणों की आहुति यादी तब जाकर के हमारे यह देश आजाद हुआ हमें उन शहीदों को कभी नहीं भूलना चाहिए जिन की क्रांतिरियों के कारण हमें यह आजादी मिली है।
हमें अपने देश से प्रेम करना चाहिए I यह जरूरी नहीं कि बॉर्डर पर लड़ कर के मर करके ही देश की सेवा होती है।
हमें देश में बेसहारा निशक्त लोगों की सहायता करनी चाहिए और यथासंभव अपनी तरफ से यह प्रयास करना चाहिए कि राष्ट्र की उन्नति में मेरा क्या योगदान है।
उपसंहार:->आज देश में बेकारी भुखमरी भ्रष्टाचार भाई भतीजा बाद कालाबाजारी आतंकवाद बढ़ रहा है I क्योंकि देश प्रेम का भाव कमजोर हुआ है यदि हमें आजाद रहना है I तो देश प्रेम का भाव पुन: जुटाना होगा हमारी शिक्षा पद्धति में महान देशभक्तों की जीवनी को पुनः डालना होगा ताकि नई पीढ़ी उनके बलिदान और उनके किए कार्यों से शिक्षा ले सकें I पूरे देश में कर्तव्यनिष्ठा को बढ़ावा देना होगा और प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व निश्चित करना होगा भ्रष्टाचारियों को कठोर दंड देने की आवश्यकता है जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा तभी जाकर हमारा यह राष्ट्र उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा।