Hindi, asked by mukeshbhokta9, 2 months ago

जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी किस प्रकार महान हैं'​

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Answered by YMissY
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बच्चों की परवरशि में यह नहीं भूलना चाहिए नारी सबसे पहले एक ‘मां’ हैं। घर के अंदर बच्चों के संस्कार के पुष्पण और पल्लवन से विमुख हुए तो समाज को कुछ भी नहीं दे पाएंगीं। ‘या देवी सर्व भूतेषु मातृ रूपेन संस्थिता, नमस्तयै नमस्तयै नमस्तयै नमो नम:’ जिस भारतवर्ष की संस्कृति में देश की मिट्टी को मां और मातृ रूपेन संस्थिता कहकर नमन किया गया है, वहां किसी दिवस को मनाने का अर्थ नहीं है।

बदलते परविेश में मातृ दिवस मनाने की प्रासंगिकता इस मायने में है कि इसी बहाने मां को याद कर लिया और उसे गले से लगा लिया जाए। शिक्षाविद् एवं साहित्यकार डॉ. त्रिपुरा झा कहती हैं कि जिस देश में अपनी मिट्टी को मां कह दिया, वहां मातृ दिवस को याद दिलाने की जरूरत नहीं है। मां तो रग-रग में है। मां अपने आंचल से बच्चों को सहला दे तो उसे लगता है कि पूरी दुनिया उसके साथ है। जिस देश की संस्कृति में मां से प्रेम का सबक है वहां जरूरी है कि हम मां की सेवा और आदर के प्रति समर्पित रहें।

बांग्ला शिक्षाविद् अनिता चक्रवर्ती कहती हैं ‘जननी जन्मभूमशि्च स्वर्गादपि गरीयसी’ जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है। मां के बिना दुनिया अधूरी है। हर इंसान के जीवन, संस्कार और सफलता में मां का प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है। महाराष्ट्र भगिनी समाज की महासचवि मृदुला राजे कहती हैं कि स्त्री पल भर को पत्नी और अनन्तकाल की माता होती है। छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक समिति महिला मंडल की सचवि जया साहू के मुताबिक बेटी के लिए मां से बढ़कर दोस्त और मार्गदर्शक कोई नहीं हो सकता है।

आज नयी पीढ़ी की युवतियां जो भटकाव की राह पर हैं वह अपनी मां से दोस्ती कर ले तो इसकी गुंजाइश नहीं रह जायेगी। जमशेदपुर एंग्लो इंडियन एसोसिएशन की अध्यक्ष मेरिएन एक्का कहती हैं कि मां से बच्चों को संस्कार मिलता है। बच्चों की बुराइयों और कमजोरियों को दूर करती है मां।

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