जनन संचारित रोग है(क)सिफलिस(ख) एड्स (ग)गोवालिया(घ) इनमें से सभी
Answers
Answer:
इनमें से सभी.
Explanation:
ये सभी जनन संचारित रोग हैं.रतिरोग (Venereal Diseases) या यौन संचारित रोग (sexually transmitted disease (STD) या रति संचरित संक्रमण (Sexually transmitted infections), रति या मैथुन के द्वारा उत्पन्न रोगों का सामूहिक नाम है। ये वे रोग हैं जिनकी मानवों या जानवरों में यौन सम्पर्क के कारण फैलने की अत्यधिक सम्भावना रहती है। यौन सम्पर्क में योनि सम्भोग, मुख-मैथुन, तथा गुदा-मैथुन आदि सम्मिलित हैं।कई बार रतिरोग प्रारम्भ में अपने लक्षण नहीं दिखाते।इससे दूसरों को भी यह रोग लग जाने का खतरा अधिक हो जाता है।
३० से भी अधिक प्रकार के जीवाणु (बैक्टीरिया), विषाणु और परजीवी रतिक्रिया के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जा सकते हैं। यौन संचारित रोगों के बारे जानकारी में सैकड़ों वर्षों से है। इनमें (१) उपदंश (Syphilis), (२) सुजाक (Gonorrhoea), (३) लिंफोग्रेन्युलोमा बेनेरियम (Lyphogranuloma Vanarium) तथा (४) रतिज व्राणाभ (Chancroid), (५) एड्स (AIDS) प्रधान हैं।
Mark me as Brainliest❤ and do follow me❤.
रतिरोग (Venereal Diseases) या यौन संचारित रोग (sexually transmitted disease (STD) या रति संचरित संक्रमण (Sexually transmitted infections), रति या मैथुन के द्वारा उत्पन्न रोगों का सामूहिक नाम है। ये वे रोग हैं जिनकी मानवों या जानवरों में यौन सम्पर्क के कारण फैलने की अत्यधिक सम्भावना रहती है। यौन सम्पर्क में योनि सम्भोग, मुख-मैथुन, तथा गुदा-मैथुन आदि सम्मिलित हैं। [1][2] कई बार रतिरोग प्रारम्भ में अपने लक्षण नहीं दिखाते।[3] इससे दूसरों को भी यह रोग लग जाने का खतरा अधिक हो जाता है।[4]
३० से भी अधिक प्रकार के जीवाणु (बैक्टीरिया), विषाणु और परजीवी रतिक्रिया के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जा सकते हैं। यौन संचारित रोगों के बारे जानकारी में सैकड़ों वर्षों से है। इनमें (१) उपदंश (Syphilis), (२) सुजाक (Gonorrhoea), (३) लिंफोग्रेन्युलोमा बेनेरियम (Lyphogranuloma Vanarium) तथा (४) रतिज व्राणाभ (Chancroid), (५) एड्स (AIDS) प्रधान हैं। पुरूषों मे तो रतिरोगों के लक्षण सामान्यतः दिख जाते हैं तो वे जागरूक हो जाते हैं कि उनके यौनपरक अंग संक्रमित हो गए हैं। जबकि औरतों के संक्रमण के लक्षण दिखाई नहीं देते जबकि रोग लग चुका होता है।
एस टी डी से अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्य़ाएं हो सकती हैं। प्रत्येक एस टी डी से अलग प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होती हैं - कुल मिलाकर उनसे ग्रीवा परक कैंसर और अन्य कैंसर हो सकते हैं जिगर के रोग, अनउर्वरकता, गर्भ सम्बन्धी समस्याएं और अन्य कष्ट हो सकते हैं। कुछ प्रकार के एस टी डी एच आई वी/एड्स की सम्भावनाओं को बढ़ा देते हैं।
एस टी डी के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं -
(1) औरतों में योनि के आसपास खजली और /अथवा योनि से स्राव
(2) पुरूषों मे लिंग से स्राव
(3) सम्भोग के समय अथवा मूत्र त्याग के समय पीड़ा
(4) जननेन्द्रिय के आसपास पीड़ाविहीन लाल जख्म
(5) मुलायम त्वचा के रंग वाले मस्से जननेन्द्रिय के आसपास हो जाते हैं।
(6) गुदा परक सम्भोग वालों को गुदा के अन्दर और आसपास पीड़ा
(7) असामान्य छूत के रोग, न समझ आने वाली थकावट, रात को पसीना और वजन का घटना।
उपदंश (Syphilis) प्रधानतः संक्रामक रोग है, परन्तु जन्मजात रूप में भी पाया जाता है। यदि इसका ठीक से इलाज न किया जाय तो जटिलताएँ बढ़ सकतीं हैं और इसके कारण मृत्यु भी हो सकती है।[5]प्रारंभिक अवस्था में यह सामान्यीकृत (generalised) होता है और बाद में स्थानीकृत (localized) और प्रकीर्ण (dispersed) रूप में किसी अंग को आक्रान्त कर सकता है। रोगजनक जीवाणु ट्रिपोनिमा पैलिडम (Treponema pallidum), या स्पाइरोकीटा पैलिडम (Spirochaeta pallidum) है। उपदंश के जीवाणु शरीर से बाहर कुछ घंटे तक ही जीवित रह सकते हैं। शरीर की त्वचा या श्लेष्मल उपकला (epithelium) में प्रविष्ट होने के बाद इनकी वृद्धि त्वरित गति से होती है और ये सारे शरीर में फैल जाते हैं।