जनसंख्या संक्रमण सिद्धांत के अनुसार भारत कौन सी अवस्था में आते हैंजनसंख्या संक्रमण सिद्धांत के अनुसार भारत कौन सी अवस्था में आता है
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जनांकिकीय संक्रमण[1] अथवा जनसांख्यिकीय संक्रमण एक जनसंख्या सिद्धांत है जो जनसांख्यिक इतिहास के आंकड़ों और सांख्यिकी पर आधारित है। इस सिद्धांत के प्रतिपादक डब्ल्यू. एम. थोम्पसन (1929) और फ्रेंक. डब्ल्यू. नोएस्टीन (1945) हैं। इन्होंने यूरोप, आस्ट्रेलिया और अमेरिका में प्रजनन और मृत्यु-दर की प्रवृत्ति के अनुभवों के आधार पर यह सिद्धांत दिया।
सिद्धांत संपादित करें
जनाकिय संक्रमण सिद्धान्त का उपयोग किसी क्षेत्र कि जनसंख्या का वर्णन त्था भविष्य की जनसंख्या का पूर्वानुमान किया जा सकता है। यह सिद्धान्त हमे बताता है कि जैसे ही समाज ग्रामीण, खेतीघर त्थ। अ शिक्षित अवस्था से उन्नति करके नगरीय उद्योगिक और साक्षर बनता है। किसी प्रदेश की जनसंख्या उच्च जन्म और उच्च मृत्यु सें निम्न जन्म व निम्न मृत्यु में परिवर्तित होती हैं । ये परिवर्तन ही सामूहिक रुप से जनाकिय चक्र कहलाते हैं।। ‘जनसंख्या चक्र’ तभी तीन स्पष्ट घोषित प्राकल्पनाएं सामने आती हैं॥
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जनसंख्या संक्रमण सिद्धांत के अनुसार भारत तृतीय अवस्था में आता है