जनसंख्या समस्या के बारे मे आधा page essay plz kind request☺
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1968 में एक युवा अमेरिकी बटरफ्लाई एक्सपर्ट पॉल एहर्लिच की पुस्तक “द पॉपुलेशन बम” प्रकाशित हुई थी। इसमें उन्होंने एक विवादास्पद दावा किया था कि मानवता को खिलाने की लड़ाई खत्म हो गई है और आने वाले दो दशकों में भूखमरी से लाखों की मौत हो जाएगी। उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की थी कि आर्थिक विकास के लिए हमें आबादी की विशालता को रोकना चाहिए। हालांकि, उनका “बम” फुस्स साबित हुआ, क्योंकि उन्होंने मानव चतुराई को कम आंकने का काम किया। हरित क्रांति ने इतना अन्न का उत्पादन कर दिया कि वह लाखों लोगों को बचाने में कामयाब रहा।
एहर्लिच को जबरदस्ती बंध्याकरण की वकालत करने के लिए “हिटलर से भी बदतर” मना जाता था। इस किताब के आने के 50 साल बाद और गलत साबित होने के बावजूद वह फिर से शोर मचा रहे हैं। उन्होंने हाल ही में द गार्डियन को बताया “कुछ ही दशकों के भीतर सभ्यता का पतन निश्चित है...जब तक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था का लक्ष्य मानव है।”
एहर्लिच, नव-माल्थसवाद के पोस्टर बॉय हैं, जो जनसंख्या वृद्धि के विपदात्मक परिणामों के बारे में बहस को पुनर्जीवित करते हैं। सबसे पहले 1780 के अपने निबंध में जनसंख्या सिद्धांत पर टीआर माल्थस ने लिखा था। माल्थस ने तर्क दिया था कि आबादी की वृद्धि ज्यामितीय ( 1, 2, 4, 8, 16, 32, 64 ...) रूप से होती है, जबकि भोजन अंकगणितीय मात्रा (1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 ...) से बढ़ता है। कोई भी व्यक्ति, जिसने बुनियादी अंकगणित नहीं पढ़ा है, यह पता लगा सकता है कि इस विसंगति का परिणाम क्या होगा।
चतुर जनसांख्यिकी विशेषज्ञ यह देख सकते हैं कैसे यह एक तरह का सांख्यिकीय कुतर्क है। फिर भी मानव तेजी से प्रजनन करता है, एक सार्वजनिक कल्पना है। चीन की एक बच्चे की नीति और भारत में लंबे समय से चला आ रहा परिवार नियोजन कार्यक्रम संख्याओं की घातक शक्तियों को बताता है। 9 मार्च को, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसी याचिका को खारिज कर दिया था, जो प्रति परिवार सिर्फ दो बच्चों की मांग करती थी। न्यायालय ने बुद्धिमतापूर्ण तरीके से मामले को संसद के पाले में डाल दिया।
इसी तरह की मंजूरी मांगने वाली कम से कम पांच अन्य याचिकाएं अब भी कतार में हैं। ये सभी याचिकाएं कमोबेश इस कल्पना पर आधारित हैं कि “अधिक जनसंख्या” हमारे सभी समस्याओं, संसाधनों की कमी, बेरोजगारी, अपराध, पर्यावरणीय क्षति, बीमारी और गरीबी का कारण है।
Answer:
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Explanation:
विश्व की आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है। पिछले पांच से छह दशकों में विशेष रूप से मानव आबादी में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। इसके पीछे कई कारण हैं। इसके लिए मुख्य कारणों में से एक चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में विकास है जिसने मृत्यु दर को घटा दिया है। एक और कारण विशेष रूप से गरीब और विकासशील देशों में बढ़ती जन्म दर है। शिक्षा का अभाव और परिवार नियोजन की कमी इन देशों में उच्च जन्म दर के लिए शीर्ष कारणों में से एक है।
विडंबना यह है कि जहाँ एक तरफ मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है वही दूसरी ओर जानवरों और पक्षियों की जनसंख्या दिन प्रतिदिन कम हो रही है। अपनी जरूरतों को पूरा करने के प्रयास में जंगली जानवरों के लिए आश्रय के रूप में सेवा करने वाले जंगलों को भी इंसान काट रहे हैं। इसके कारण पशुओं और पक्षियों की कई प्रजातियां प्रभावित हुई हैं। बढ़ते यातायात और विभिन्न उद्योगों की स्थापना के कारण बढ़ता प्रदूषण जीवों की आबादी में कमी का एक और कारण है। इसकी ही वजह से मौसम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
यह सही समय है कि ज्यादा आबादी वाले देशों की सरकारों को आबादी पर नियंत्रण रखने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए नहीं तो हमारा ग्रह मानवता के अस्तित्व के लिए उपयुक्त नहीं रहेगा
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