जनसाधारण पर अंग्रेजों ने क्या-क्या अत्याचार किए थे
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आमतौर पर मैं इस बारे में बात नहीं करता क्योंकि इसमें गर्व करने जैसी कोई बात नहीं - बल्कि उल्टा ही है.
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लेकिन आज जब भारत अपनी आज़ादी की सत्तरवीं सालगिरह मना रहा है, तो इस पारिवारिक संबंध ने मुझे ब्रिटेन के प्रति भारत के जटिल और प्राय: विरोधाभासी रवैये पर सोचने के लिए विवश कर दिया है.
ब्रिटिश सरकार इस विशाल और शक्तिशाली देश के साथ अपने भावी सम्बन्धों को जितना महत्व दे रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आज हमारे बारे में भारत की राय किसी भी दौर से ज़्यादा महत्वपूर्ण है.
थेरेसा मे ने प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले विदेश दौरे के लिए भारत का चयन बेहद सोच-समझकर किया.
ब्रिटेन ब्रेक्सिट के बाद, अपने सुरक्षित भविष्य के लिए भारत का सहयोग चाहता है. अपने पूर्व उपनिवेश के साथ व्यापारिक सम्बन्धों में ताजगी भरना ब्रिटेन की नई वैश्विक आर्थिक रणनीति का प्रमुख अंग है. लेकिन उनकी उम्मीदों के विपरीत भारत का रवैया ठंडा रहा है जो शायद ठीक भी है.
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अभी-अभी बारिश बंद हुई है और मैं राजनयिक और सांसद शशि थरूर के दक्षिण दिल्ली स्थित विशाल औपनिवेशिक बंगले पर पहुँचता हूँ.
अंग्रेजों का असर
उमस भरी शाम में कीट-पतंगों की भरमार है और कहीं दूर दिल्ली के अनवरत ट्रैफिक का शोर सुनाई दे रहा है.
बगीचे से होते हुए जब मैं संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अंडर-जनरल सेक्रेटरी की किताबों से भरी स्टडी में पहुंचा तो उन्होंने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया.
थरूर ने माना कि भारत में अँग्रेजी राज की परम्पराओं ने लाखों अँग्रेजी बोलने वाले भारतीयों के नज़रिये और पसंद को प्रभावित किया है.
वे कहते हैं, "अपने रोज़मर्रा के जीवन में हम जिन चीज़ों को बिलकुल सहजता से लेते हैं - हमारी पसंदीदा किताबें, भोजन करने के हमारे तौर-तरीके, हमारी वेशभूषा, हमारी आदतें और तहज़ीब - उनमें से बहुत कुछ उपनिवेशवाद, ब्रिटिश संस्थाओं और अंग्रेजी भाषा की देन है".
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बीबीसी संवाददाता जस्टिन रॉलेट अपने परदादा सिडनी रॉलेट की तस्वीर के साथ
मसलन, अधिकांश भारतीय राष्ट्रवादी नेता पी.जी. वुडहाउस को पढ़ना, क्रिकेट खेलना और देखना पसंद करते थे.
शरारती मुस्कान के साथ थरूर कहते हैं, "वास्तव में, क्रिकेट का खेल और इसमें अंग्रेजों को हराना भारतीय राष्ट्रवाद का एक रूपक बन गया था."
चाय के शानदार स्वाद से भारतीयों को परिचित कराने के लिए वे अंग्रेजों की तारीफ़ करते हुए कहते हैं, "चाय अब हर लिहाज से भारत का राष्ट्रीय पेय है."
भारत-पाक बंटवारे की वो प्रेम कहानी
इन सबके बावजूद, शशि थरूर ब्रिटेन की साम्राज्यवादी विरासत के आज शायद सबसे कटु आलोचक हैं.
2015 में ऑक्सफोर्ड यूनियन में भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटेन को औपनिवेशिक राज के दौरान भारत को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति करनी चाहिए. उनके इस भाषण ने सोशल मीडिया में सनसनी मचा दी.
उपनिवेशवाद की भयावहता
इस भाषण को चालीस लाख बार ऑनलाइन देखा गया, ब्रिटिश मीडिया और भारतीय मीडिया में व्यापक बहस शुरू हुई और उनके राजनीतिक विरोधी - भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी तारीफ़ की.
इस भाषण का असर इतना ज़बरदस्त रहा कि शशि थरूर ने Inglorious Empire नाम से एक पुस्तक लिखी जो इसी वर्ष ब्रिटेन में प्रकाशित हुई.
वे कहते हैं, "आज की भारतीय पीढ़ी को उपनिवेशवाद की भयावहता को समझाने की नैतिक मजबूरी ने मुझे यह किताब लिखने पर बाध्य किया."
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इसमें कोई शक नहीं कि ब्रिटिश साम्राज्य की ज़्यादतियों और क्रूरता के प्रति भारतीयों में ग़ुस्सा और नाराजगी है.
लेकिन सच यह भी है कि आज अंग्रेजों के बैरभाव रखने वाले भारतीय बेहद कम है.
रॉलेट एक्ट का असर
और यह ऐतिहासिक सच्चाई है कि ब्रिटिश औपनिवेशिक इतिहास के सबसे दमनकारी अत्याचारों की वजह मेरे परदादा द्वारा निर्मित और उनके नाम से प्रसिद्ध क़ानून था.
इस क़ानून को रॉलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है और 13 अप्रैल 1919 को नृशंस जलियाँवाला बाग हत्याकांड की वजह यही क़ानून था.
महात्मा गांधी ने रॉलेट एक्ट के ख़िलाफ़ ही अपने पहले अहिंसक सत्याग्रह की शुरुआत की थी. तब तक उनका शुमार भारतीय राष्ट्रीय नेताओं की अग्रणी पंक्ति में नहीं हुआ था.
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इस क़ानून के तहत साम्राज्य के खिलाफ षड्यंत्र के महज शक के आधार पर नागरिक अधिकारों को छीन लेने का प्रावधान था
और, इसके मायने ये थे कि किसी राजद्रोही अख़बार की एक प्रति रखने पर भी बिना किसी मुक़दमे के दो साल की सजा हो सकती थी.
इसी क़ानून का विरोध करने के लिए गांधी के आह्वान पर हजारों भारतीय 13 अप्रैल 1919 को चहारदीवारी से घिरे जलियाँवाला बाग में जमा हुए. उद्देश्य था, मेरे परदादा सिडनी रॉलेट के बनाए इस क़ानून के खिलाफ अपने क्षोभ और ग़ुस्से की अभिव्यक्ति.
आज लगभग एक सदी बाद भी यह अमृतसर की उस बेहद शर्मनाक और क्रूर घटना को याद रखना ज़रूरी है. मैं पिछले हफ़्ते पहली बार जलियाँवाला बाग गया. इस अनुभव ने मुझे हिलाकर रख दिया.