Hindi, asked by adarshsingh12112004, 8 months ago

जनता की आवाज पर निबंध​

Answers

Answered by pardeepsingla80
0

Answer:

जनता सुनती है, जनता देखती भी है।

जनता सिसकती है, जनता रोती भी है।

और फिर जनता चुनती भी है

समय आने पर अपनी सरकार...

यही तो है लोकतंत्र का व्यवहार...

जनता टोकती है, जनता रोकती भी है।

तुम्हें नहीं दिखता, कमी तुम्हारी भी है।

और फिर जनता करती भी है

समय आने पर सबको खबरदार...

यही तो है लोकतंत्र का व्यवहार...

जनता अपनाती है, जनता ठुकराती भी है।

जनता हंसाती है तो जनता रुलाती भी है।

और फिर जनता बना भी देती है

समय आने पर सबको चौकीदार...

यही तो है लोकतंत्र का व्यवहार...

अभिषेक सहज

- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।  

Explanation:

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Answered by 182017
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Answer:

जनता सुनती है, जनता देखती भी है।

जनता सिसकती है, जनता रोती भी है।

और फिर जनता चुनती भी है

समय आने पर अपनी सरकार...

यही तो है लोकतंत्र का व्यवहार...

जनता टोकती है, जनता रोकती भी है।

तुम्हें नहीं दिखता, कमी तुम्हारी भी है।

और फिर जनता करती भी है

समय आने पर सबको खबरदार...

यही तो है लोकतंत्र का व्यवहार...

जनता अपनाती है, जनता ठुकराती भी है।

जनता हंसाती है तो जनता रुलाती भी है।

और फिर जनता बना भी देती है

समय आने पर सबको चौकीदार...

यही तो है लोकतंत्र का व्यवहार...

अभिषेक सहज

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