Janm aur mrityu iswar ke adheen hai in sanskrit
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जन्म और मृत्यु अपने कर्मानुसार होती है जैसा इंसान गर्म करता है जितनी हनुमान अनुसार कि आई बनती है उसी प्रकार की मृत्यु होती है उसी तरह समझा जन्म होता है यह प्रकृति का ही करम है ईश्वर है आज ही प्रकृति है प्रकाश जी अनुसार जन्म मृत्यु होती है और ईश्वर क्या दिन प्रकृति है ईश्वर सिंह रावत है
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