Hindi, asked by sanjanamittal080407, 10 months ago

Janmabhoomi Man ke Saman per 100 shabdon mein anuchchhed likhen Please help me it's sooo urgent

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Answered by kumaripriya80999
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Answer:

जननी और जन्मभूमि दोनों ही महान हैं। जननी को ईश्वर के सदृष और प्रथम गुरू कहा गया है- ईश्वर को सर्वप्रथम ‘त्वमेव माता’ कहा गया है ओर ‘माता गुरूणां गुरू’ कह करके माता की सर्वोपरि महिमा बताई गई हे। माता का महत्व हमारे धर्मग्रन्थों में बार बार विविध रूपों के द्वारा प्रदर्शित किया गया है। माता की ममता और उसका प्यार भरा वात्सल्य और उसकी अपार स्नेह आदर का उमड़ता समुन्द्र भला और कहाँ है। इसीलिए महाकवि तुलसी ने कहा भी है कि –

माता बिनु आदर कौन करे, वर्षा बिनु लागर कौन करे।

राम बिनु दुख कौन हरे, तुलसी बिनु भक्ति कौन करे।।

माँ का स्वरूप सहज और विशिष्ट होता है। माता धरती है। धरती की तरह वह जन्मदात्री, रक्षक, पालन पोषण की अद्भुत शक्ति और उपकार स्वरूप है। इसलिए अपनी संतान के अनोपेक्षित और अनुचित व्यवहार को सहन करती हुई उसे पल्लवित और पुष्पित करने से पीछे नहीं हटती है। इसीलिए माँ को देवता और ईश्वर के रूप में समझते हुए माँ के प्रति अपनी श्रद्धा और विश्वास को व्यक्त करने के लिए कहा गया-

‘मातृ देवो भवः।’

Explanation:

please help kareto brainlist mark dena

Answered by VishaalS
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जननी और जन्मभूमि दोनों ही महान हैं। जननी को ईश्वर के सदृष और प्रथम गुरू कहा गया है- ईश्वर को सर्वप्रथम ‘त्वमेव माता’ कहा गया है ओर ‘माता गुरूणां गुरू’ कह करके माता की सर्वोपरि महिमा बताई गई हे। माता का महत्व हमारे धर्मग्रन्थों में बार बार विविध रूपों के द्वारा प्रदर्शित किया गया है। माता की ममता और उसका प्यार भरा वात्सल्य और उसकी अपार स्नेह आदर का उमड़ता समुन्द्र भला और कहाँ है। इसीलिए महाकवि तुलसी ने कहा भी है कि –

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