Hindi, asked by anusuryachandra5199, 11 months ago

Janmasidha aadhikar ke visheshtaye

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Answered by soniahaider
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मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन के लिये मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किये जाते हैं और जिनमें राज्य द्वार हस्तक्षेप नही किया जा सकता। ये ऐसे अधिकार हैं जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिये आवश्यक हैं और जिनके बिना मनुष्य अपना पूर्ण विकास नही कर सकता। ये अधिकार कई करणों से मौलिक हैं:-

1. इन अधिकारों को मौलिक इसलिये कहा जाता है क्योंकि इन्हे देश के संविधान में स्थान दिया गया है तथा संविधान में संशोधन की प्रक्रिया के अतिरिक्त उनमें किसी प्रकार का संशोधन नही किया जा सकता।

2. ये अधिकार व्यक्ति के प्रत्येक पक्ष के विकास हेतु मूल रूप में आवश्यक हैं, इनके अभाव में व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास अवरुद्द हो जायेगा।

3. इन अधिकारों का उल्लंघन नही किया जा सकता।

4. मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं तथा समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से प्राप्त होते है।

साधारण कानूनी अधिकारों व मौलिक अधिकारों में अंतर

साधारण कानूनी अधिकारों को राज्य द्वारा लागू किया जाता है तथा उनकी रक्षा की जाती है जबकि मौलिक अधिकारों को देश के संविधान द्वारा लागू किया जाता है तथा संविधान द्वारा ही सुरक्षित किया जाता है।

साधारण कानूनी अधिकारों में विधानमंडल द्वारा परिवर्तन किये जा सकते हैं परंतु मौलिक अधिकारों में परिवर्तन करने के लिये संविधान में परिवर्तन आवश्यक हैं।

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