Jansankhya vridhi vardaan ya abhishap par anuched lekhen
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Explanation:
जनसंख्या वृद्धि : वरदान है या अभिशाप
- अधिकांश देशों में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के चलते गरीबी, बेकारी बढऩे के साथ कई अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। हालांकि देश के संसाधनों में भी बढ़ोतरी होती है लेकिन जनसंख्या वृद्धि दर की तुलना में वह अपेक्षाकृत नहीं बढ़ पाती। इससे कुछ समय बाद असंतुलन की स्थिति पैदा होती है।
- बड़ी संख्या में युवाओं के बीच सीमित संसाधनों (रोजगार अवसर) की प्राप्ति के लिए जबर्दस्त प्रतिस्पद्र्धा और दबाव होता है। नतीजतन बेरोजगारी बढ़ती है। लेकिन इस दृष्टि से देखने पर हम तस्वीर का केवल एक पहलू ही देख पाते हैं।
- जनसंख्या वृद्धि के साथ देश में बड़ी संख्या में युवा आबादी भी बढ़ती है जिनके कंधों पर ही देश के विकास की जिम्मेदारी होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में यह परिस्थिति ज्यादा लागू होती है जहां के उत्पादन क्षेत्र में विशाल श्रम शक्ति जुड़ी है।
- फैक्टरियों में वस्तुओं के उत्पादन और कृषि कार्यों के लिए विशाल श्रमशक्ति की जरूरत होती है। हालांकि इन क्षेत्रों में नई और आधुनिक टेक्नोलॉजी के महत्व को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस संदर्भ में भारत जैसे मुल्कों में युवा आबादी एक तरह से वरदान है।
- बढ़ती जनसंख्या से देश अपेक्षाकृत युवा होता है क्योंकि मौजूदा जनसंख्या में युवा आबादी जुड़ती है। यह कोई जरूरी नहीं कि इससे हमेशा बेरोजगारी की समस्या ही बढ़ती हो क्योंकि इससे युवा और कुशल श्रमशक्ति में भी इजाफा होता है।
- इसी श्रमशक्ति के बूते चीन अपने उद्योगों और उत्पादन का विस्तार करते हुए उपभोक्ता वस्तुओं के मामले में वैश्विक बाजार में सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक देशों में शुमार हो सका है।
- बांग्लादेश जैसे छोटे मुल्क निर्धनता सूचकांक और विकास सूचकांक में भले ही निचले पायदान पर हो लेकिन तीव्र जनसंख्या वृद्धि और बड़ी श्रमशक्ति के जरिये यह मुल्क रेडीमेड गारमेंट के मामले में भारत को भी पीछे छोड़ते हुए सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक देशों की श्रेणी में शुमार हो गया है।