जरा प्यार से बोलना सिख लिजे कविता का भावार्थ
Answers
Answer:
वाणी में शहद..टोकना सीख लीजे।
हे मानव, अपनी वाणी में शहद जैसी मिठास घोलना सीखो। अर्थात मधुरभाषी बनो। तुम दूसरों से मीठे शब्दों में बात करो। जब भी बोलो, प्यार से बोलो। जब आवश्यकता के जभी बोलो। अनेक अवसरों पर आवश्यकता नहीं होती, तब भी हम सलाह-मशवरा दिया करते हैं। दोस्तों, के अनेक लाभ हैं। (ऊर्जा बचती है। समय बचता है। उस चुप रहने ऊर्जा और समय को किसी सकारात्मक कार्य में लगाया जा सकता है।) किसी को कुछ कहने से पहले अपनी बात पर विचार करना और फिर बोलना सीखो। बोलने से पहले अपने शब्दों को तौलने की आदत बनाओ। ऐसा न हो कि आपकी बातें सामने वाले को दुख पहुँचाएँ। (तलवार से हुआ घाव देर-सवेर भर ही जाता है, किंतु कटु वाणी से हुआ घाव कभी नहीं भरता। समय-असमय हमें याद आ-आकर मार्मिक पीड़ा पहुँचाया करता है।) इसलिए यदि बातचीत के दौरान वैचारिक मतभेद हो, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति उत्पन्न हो तो अपने आप को टोककर चुप रहना सीखो
ज़रा प्यार से बोलना सीख लीजिये कविता रमेश दत्त शर्मा द्वारा लिखी हुई कविता है । कविता का भाव है की हमें प्यार से बोलना चाहिए । जिस प्रकार शहद मीठा होता है हमारी वाणी भी मीठी होनी चाहिए ।20-Aug-2018