Hindi, asked by DHRUV8725, 1 year ago

जरथुस्त्र का जीवन परिचय। Zorashtra Information in Hindi

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Answered by ishantrao123
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नाम : जरथुस्त्र

जन्म स्थान : ईरान

उपलब्धि : पारसी धर्म के संस्‍थापक

उम्र : 77 वर्ष

जन्‍म और मृत्‍यु : 600 ईसा पूर्व के आसपास


जरथुस्त्र पारसी धर्म के संस्‍थापक थे। प्राचीन ग्रीस के निवासियों तथा पाश्चात्य लेखकों ने इनको जारोस्टर नाम से संबोधित किया है। वह एक संत थे, जो 600 ईसा पूर्व ईरान में रहते थे और लोगों को करुणा, प्रेम और सहिष्‍णुता का संदेश देते थे। पारसी समुदाय द्वारा महात्मा जरथुस्त्र का जन्म दिवस 24 अगस्त को मनाया जाता है। उनके जन्‍म की वास्‍तविक तिथि तो ज्ञात नहीं है, लेकिन इतिहासकारों का विश्‍वास है कि उनका जन्‍म ईरान में 1400 से 600 ईसा पूर्व स्पित्मा (spitama) राजपरिवार में हुआ था और उन्‍हें सभी सांसरिक सुख प्राप्‍त थे। उनमें कई असाधारण योग्‍यताएं थीं। उन्‍होंने कभी सुखों का आनंद नहीं लिया और 15 साल की छोटी-सी उम्र में ही उनका त्‍याग कर दिया। गौतम बुद्ध की तरह वह भी कई वर्षों के लिये गहरे ध्‍यान में चले गये। अंतत: ज्ञानोदय प्राप्‍त हुआ और उन्‍हें दिव्‍य दर्शन हुए।


उन्‍होंने देखा कि लोग अंधविश्‍वासों और धार्मिक अज्ञानता से घिरे हुए हैं। लोग कई भगवानों को मानते हैं। जरथुष्‍ट ने अनेक ईश्‍वरों की आराधना का विरोध किया। वह जीवन में दो मुख्‍य मनोभावों की बात करते थे, अच्‍छे का आत्‍म-भाव, यानी प्रकाश और बुरे का आत्‍म-भाव, यानी अंधेरा।


ज्ञानोदय प्राप्‍त करने के बाद उन्‍होंने बड़ी संख्‍या में अपने अनुयायियों को उपदेश देय। लोगों ने उनके सदाचार के मार्ग को पसंद किया, क्‍योंकि यह सभी को स्‍वीकार्य था। इस तरह पारसी धर्म अस्तित्‍व में आया। इनका धार्मिक ग्रंथ जेंदाअवेस्‍ता है। इसके धर्मावलंबियों को पारसी या जोराबियन कहा जाता है। यह धर्म एकेश्वरवादी धर्म है। ये ईश्वर को 'आहुरा माज्दा' कहते हैं। आहुरा माज्दा को जीवन, प्रकाश और नैतिकता का स्रोत माना गया है और अहिरमन को अन्धकार तथा मृत्यु का।




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