jare ki raat par nibandh hindi mein
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जाड़े की ऋतु या शीत ऋतु पर निबंध | Essay on Winter Season in Hindi!
भारत में विभिन्न प्रकार की ऋतुएँ क्रमानुसार आती हैं । जाड़े की ऋतु वर्षा ऋतु की समाप्ति पर आती है । नवंबर से लेकर फरवरी तक ठंडा मौसम रहता है । विशेषकर दिसंबर और जनवरी के महीने में अत्यधिक ठंड पड़ती है । इतनी ठंड कि लोग ठिठुरने लगते हैं । लोग गर्मी प्रदान करने वाली वस्तुओं की शरण में जाते हैं ।
ठंड आयी, सर्द हवाएँ चलने लगीं । मनुष्य ठिठुर गए अन्य जीवों को भी राहत नहीं । सभी धूप में रहने के लिए आतुर हो उठे । मनुष्यों ने गर्म लबादे ओढ़े । ओवरकोट, स्वेटर और ऊनी कपड़ों से सुसज्जित होना लोगों की विवशता बन गई । पक्षी अपेक्षाकृत गर्म स्थलों में प्रवास के लिए उड़ान भरने लगे । पशु भी सुस्त हुए धूप में लेट गए । सब अपने- अपने आश्रय में दुबके बैठने लगे । आसमान में सूर्यदेव मद्धिम हो गए, उनकी गर्मी को मानो ग्रहण लग गया । बादलों ने तो उनकी रही-सही शक्ति भी छीन ली ।
दिन छोटे हुए, रातें लंबी हुई । प्रात: काल सब जगह ओस ही ओस । फूलों और पत्तों पर जलकण मोती के दानों से दिखाई देने लगे । इस समय ठिठुरते हुए ही काम करना पड़ा । कुछ आग जलाकर चारों ओर बैठ गए । गर्म चाय के कई दौर चले । पर सर्दी इतनी बेदर्दी कि कोई असर ही नहीं । गर्म पानी से ही नहाना पड़ा । दिन चढ़ा, सूर्य देवता ने कुछ असर दिखाया । लोग गुनगुनी धूप का आनंद लेने लगे । पर यह क्या, अलसाई साँझ फिर जल्दी ही घिर आई । पक्षी अपने नीड़ों की ओर भागे । गौएँ गौशालाओं में दुबकीं ।गृहस्थों ने अंगीठी की शरण ली और वृद्धों ने मोटे कंबल ओढ़े । शीत लहर की मार किसी पर भी पड सकती है ।
पर खान-पान का सुख तो जाड़े में ही मिलता है । बंदगोभी, सेम, मटर, फूलगोभी, आलू, मूली, गाजर, टमाटर, लौकी आदि सब्जियाँ इस मौसम में खूब फलती हैं । सेब, संतरा, पपीता, अंगुर, अनार जैसे फलों से तो बाजार पट जाते हैं । शरीर को गर्मी देने वाले तिल इसी ऋतु में पैदा होते हैं । गन्ने का रस और गुड शीत ऋतु की देन हैं । आयुर्वेद लोगों को शीत ऋतु में उष्ण जल, पान, तिल और रूई का सेवन करने की सलाह देता है । इनका सेवन करने वाले शीत ऋतु में स्वस्थ बने रहते हैं । इस ऋतु में जो खाया सो हजम हो गया । अत: इसे शरीर में शक्ति संचय का काल माना जाता है ।
शीत ऋतु में कीटाणुओं का प्रकोप कम हो जाता है । ठंड से मच्छर मर जाते हैं और मक्खियों की संख्या भी घट जाती है । लोग प्राय: स्वस्थ रहते हैं । संक्रामक बीमारियों का असर कम हो जाता है । यदि लोग कुछ सावधानियाँ बरतें और ठंड से बचें तो इस ऋतु में आनंदपूर्वक रहा जा सकता है ।
शीतकाल में जनसमुदाय को कार्य करने में कई प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ता है । कुहासे के कारण आवागमन बाधित होता है । वायुयानों की कई उड़ानें रद्द करनी पड़ती हैं या वे विलंब से चलती हैं । रेलसेवाओं का भी यही हाल होता है । सड़कों पर वाहनों की रफ्तार कम हो जाती है । उधर किसान भी कुहासे और पाले से परेशान दिखाई देते हैं । उनकी फसल ओले और पाले से नष्ट हो जाती है । कवि कहते हैं-
‘आलस भर दी सर्दी ने
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सर्दियों की ठंडी रात का निबंध
Explanation:
सर्दियों में साल का सबसे ठंडा मौसम होता है। इस साल 1 जनवरी मौसम का सबसे ठंडा दिन था, तापमान हिमांक बिंदु से नीचे चला गया। यह एक सर्द हवाओं की ठंडी हवा थी और हमारे चेहरे को जला देती थी। पानी का स्पर्श था। हमारे दांत चटखने लगे। उंगलियां काम करने से इनकार करती हैं।
सभी ने घर के अंदर रहना पसंद किया। सुबह और शाम, वातावरण में हर जगह ठंढ फैल गई। हम चमकते चूल्हे के पास बैठ गए। कुछ लोग इलेक्ट्रिक हीटर का इस्तेमाल करते थे। ठंडी और सर्द हवाएं चलीं और लोग अपने कमरों के भीतर ही रहे। कभी-कभी, बारिश होती है। हमें खुद को ठंड से बचाना था। सभी ने ऊनी कपड़ों का इस्तेमाल किया। महिलाओं ने गर्म शॉल पहनी थी। लोगों ने सबसे ठंडी शाम के दौरान समय से पहले अपना कारोबार बंद कर दिया। हर एक ने उसे निमोनिया से बचाने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरती। कमजोर और बूढ़े ने सीजन के सबसे ठंडे दिन को कोसा।
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सर्दियों में कोहरा क्यों बनता है ?
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