Physics, asked by priyudd, 1 year ago

jarj Pancham ki naak ki ending batado kyu sb kuch band tha


DaIncredible: hey i think your question is incomplete
priyudd: last me kya hua tha
priyudd: chapter me
DaIncredible: i mean class name
DaIncredible: and stuff
priyudd: 10
DaIncredible: from this, they can answer who knows

Answers

Answered by sanambharadwaj
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एक बार इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ पाकिस्तान, नेपाल और भारत के दौरे के लिए रवाना होने वाली थीं। इंग्लैंड के समाचार-पत्रों में रानी के नौकरों, बावर्चियों, अंगरक्षकों से संबंधित छपी विस्तृत जानकारियाँ भारत के समाचार-पत्रों में छपने लगीं। रानी की यात्रा को लेकर उनके दर्जी की चिंता की खबर भी पढ़ी गई। रानी का आगमन दिल्ली में होना था, इसलिए सड़वेंफ सुधरने लगीं। इमारतें सजने लगीं। नाक ऊँची रखने के लिए सभी तैयारियाँ जोर-शोर पर थीं कि कड़ी सुरक्षा के बाद भी इंडिया गेट के सामने लगी जाॅर्ज पंचम की मूर्ति की नाक गायब हो गई। एक विदेशी के आगमन पर एक विदेशी की नाक के न होने से भारत की नाक नहीं बच सकती, इसलिए देश के जिम्मेदार नेताओं और अधिकारियों ने सभा की और मूर्ति पर नाक लगाने का निश्चय किया। एक गरीब मूर्तिकार ने अपनी गरीबी दूर करने के लिए हिम्मत करके अवसर का लाभ उठाना चाहा। उसने सभा में पुरातत्व विभाग की पफाइलों से जाॅर्ज पंचम की मूर्ति के जैसा पत्थर ढुँढ़वाया, परंतु पफाइलों में कुछ भी जानकारी नहीं मिली। फिर सभा की गई। उसमें उसने देश के पहाड़ों और खानों के पत्थरों से मूर्ति के पत्थर को मिलाकर देखने का निश्चय किया। नेताओं और अधिकारियों को हिम्मत मिली। परंतु मूर्तिकार को अपने पूरे प्रयास के बाद वैसा पत्थर भी नहीं मिला। इस बार मूर्तिकार ने सभा को गुप्त बनाते हुए सुझाव दिया कि अखबारों को दूर रखा जाए। देश के महापुरुषों की मूर्तियों की नाकों के नाप लिए जाएँ और ठीक आने पर उतारकर वे लगा दी जाएँ।
घबराहट के बाद भी सदस्यों सहित सभापति ने मूर्तिकार को अनुमति दे ही दी, परंतु दुर्भाग्य से पूरे देश के महापुरुषों की मूर्तियों के साथ सन 1942 के आंदोलन में बिहार सचिवालय के सामने शहीद हुए बच्चों की मूर्तियों की नाकें भी जाॅर्ज की नाक से बड़ी निकलीं। रानी के आगमन का समय करीब था। फिर की गई बैठक में अधिकारियों और नेताओं की हड़बड़ाहट देखकर मूर्तिकार ने देश की नाक बचाने के लिए चालीस करोड़ की आबादी वाले भारत के एक नागरिक की जीवित नाक लगाने का रास्ता सुझाया। अपने प्रस्ताव पर सभा में सन्नाटा छाता देखकर मूर्तिकार ने खुद आगे बढ़कर जब काम की जिम्मेदारी ले ली, तो उसे फिर इस कार्य की अनुमति मिल गई। अब जाॅर्ज पंचम की मूर्ति साफ़ की गई। उस पर रंग किया गया। अखबार वालों को खबर दी गई कि जाॅर्ज की मूर्ति की नाक की समस्या का हल निकल आया है। नाक लगने वाली है। अपनी ही योजना पर परेशान मूर्तिकार ने एक दिन कमेटी वालों से जीवित नाक लाने और लगाने में मदद माँगी। कमेटी वालों ने मूर्ति के आसपास बने तालाब की सफाई करके ताजा पानी भरा, और अगले दिन मूर्तिकार ने मूर्ति पर नाक पिफट कर दी। लोगों ने जाॅर्ज पंचम की मूर्ति पर जिंदा जैसी दिखाई देने वाली नाक देखी। मूर्तिकार के साथ सभी खुश थे कि समय से पहले ही देश की नाक बचाकर, नाक उपर रखने का इंतशाम हो गया। अखबार वालों ने तो उस दिन किसी के अभिनंदन, स्वागत समारोह या उद्घाटन की न तो खबर छापी और न पफोटो। केवल मनुष्य की तरह दिखाई देने वाली, जार्ज पंचम को लगी नाक की खबर छापकर नाक रहित हुए भारत की असलियत को उद्घाटित किया।

sanambharadwaj: please mark me brainlist
Answered by PrateekStar1
3
jarj pancham ki naam path me hamare desh ke logo par vyangya kiya gaya hai ki kise tarah vaha unhi logo ki chinta kar the hai Jo unke itne saal gulami me rahne ka Karan hai . saath hi saath yaha hamare desh ki sarkari karmchariyon par bhi vyangya karte hai Jo apne desh ke liye jaan Dene valon ki kurbaniyon KO bhul gaye
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