जसोदा बार-बार यौं भाषै।
हे कोऊ ब्रज हितू हमारौ चलत गुपालहिं राखै ।।
कहा काज मेरे छगन-मगन कौं, नृप मधुपुरी बुलायौ ।
सुफलक सुत मेरे प्रान हरन कौं काल रूप है आयौ ।
बरु यह गोधन हरौ कंस सब मोहिं बंदि लै मेलौ।
इतनोई सुख कमल-नयन मेरी अँखियान आगे खेलौ ।
बासर बदन बिलोकत जीवों, निसि निज अंकम लाऊँ।
तिहिं बिछुरत जो जियौं कर्मबस तौ हँसि काहि बुलाऊँ ।।
कमलनयन गुन टेरत टेरत, दुखित नंद जु की रानी ।।
XX
Answers
Answered by
0
Answer:
sorry I not understood the question
Similar questions