जसोदा हरि पालने झुलावै।
हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोई-सोइ कछु गावै।।
मेरे लाल को आउ निंदरिया, काहे न आनि सुवावै।
तू काहे नहिं बेगहिं आवै, तोको कान्ह बुलावै॥
कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै॥
इहिं अंतर अकुलाई उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै।
जो सुख 'सूर' अमर मुनि दुरलभ, सो नँद भामिनी पावै॥
क. ) सूरदास ने इस पद में किस देश का वर्णन किया है मां यशोदा इस समय क्या कर रही है
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जसोदा हरि पालने झुलावै।
हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोई-सोइ कछु गावै।।
मेरे लाल को आउ निंदरिया, काहे न आनि सुवावै।
तू काहे नहिं बेगहिं आवै, तोको कान्ह बुलावै॥
कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै॥
इहिं अंतर अकुलाई उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै।
जो सुख 'सूर' अमर मुनि दुरलभ, सो नँद भामिनी पावै॥
क. ) सूरदास ने इस पद में किस देश का वर्णन किया है मां यशोदा इस समय क्या कर रही है
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