जठर रस में पाए जाने वाले तत्व के नाम उनके कार्य का वर्णन
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पाचन की प्रक्रिया यांत्रिक एवं रासायनिक विधियों द्वारा संपन्न होती है। मुखगुहा के मुख्यत: दो प्रकार्य हैं, भोजन का चर्वण और निगलने की क्रिया। लार की मदद से दांत और जिह्वा भोजन को अच्छी तरह चबाने एवं मिलाने का कार्य करते हैं। लार का श्लेष्म भोजन कणों को चिपकाने एवं उन्हें बोलस में रूपांतरित करने में मदद करता है। इसके उपरांत निगलने की क्रिया द्वारा बोलस ग्रसनी से ग्रसिका में चला जाता है। बोलस पेशीय संकुचन के क्रमाकुंचन (peristalsis) द्वारा ग्रसिका में आगे बढ़ता है। जठर-ग्रसिका अवरोधिनी भोजन के अमाशय में प्रवेश को नियंत्रित करती है। लार ;मुखगुहा में विद्युत-अपघट्य (electrolytes) (Na+, K+, Cl-, HCO3) और एंजाइम ;लार एमाइलेज या टायलिन तथा लाइसोजाइम होते हैं। पाचन की रासायनिक प्रक्रिया मुखगुहा में कार्बोहाइड्रेट को जल अपघटित करने वाली एंजाइम टायलिन या लार एमाइलेज की सक्रियता से प्रारंभ होती है। लगभग 30 प्रतिशत स्टार्च इसी एंजाइम की सक्रियता (pH 6-8) से द्विशर्करा माल्टोज में अपघटित होती है। लार में उपस्थित लाइसोजाइम जीवाणुओं के संक्रमण को रोकता है।