jati pratha ka unmulan kyon avashyak hai??
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जाति-प्रथा की संकीर्ण विचारधारा ने समाज में ऐसे तत्त्व पैदा कर दिए हैं जिससे मानवीय शक्ति का विकास रुक गया है। अत: जाति-व्यवस्था का उन्मूलन अति आवश्यक है। ... इसका परिणाम यह हुआ कि मनुष्य मनुष्य से लड़ने लगा। इस प्रकार के भेदभाव शताब्दियों से चले आ रहे हैं और मानसिक व्यवहार में विषमता उत्पन्न हो रही है।
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दडझढश्रडरबथभभ
Explanation:
भयडश्रडरबथ
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