जड़
ख. कक्ष की स्थिति और संसार में कवि क्या समानता पाते हैं?
के लिा वित
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- इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150 वें स्थापना वर्ष पर पिछले दिनों आयोजित समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने न्यायालयों में लंबित मुकदमों पर अपनी गहरी चिंता जाहिर की। न्यायपालिका में सुधार को लेकर उनकी चिंता वाजिब है। दरअसल, भारत में न्यायिक सुधार की बातें सिर्फ बहसों तक सीमित रह गई हैं जबकि इस दिशा में पूरी इच्छाशक्ति से काम करने की जरूरत है। हालांकि, न्यायिक सुधार की जिम्मेदारी सिर्फ न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और सरकारों पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि आम जनता को भी इस दिशा में सोचने की जरूरत है। अदालतों में लंबित मुकदमों की सुनवाई मात्र ही इस समस्या का समाधान नहीं है।
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