Hindi, asked by emperorayush1, 3 months ago

जड़ दीप तो देकर हमें आलोक जलता आप है,
विपरीत विश्व प्रवाह के निज नाव जा सकती नहीं,
पर एक हममें दूसरे को दे रहा संताप है।
अब पूर्व की बातें सभी प्रस्ताव पा सकती नहीं।
क्या हम जड़ों से भी जगत में है गए बीते नहीं?
है बदलता रहता समय, उसकी सभी बातें नई।
हे भाइयो। इस भौति तो तुम थे कभी जीते नहीं।
कल काम में आती नहीं है आज की बातें कई
हमको समय को देखकर ही नित्य चलना चाहिए, है सिद्धि मूल यही कि जैसा प्रकृति का रंग हो।
बदले हवा जब जिस तरह हमको बदलना चाहिए। तब ठीक वैसा ही हमारा कार्य कृति का ढंग हो
(1) दीपक की विशेषता है-
(क) वह जड़ होता है।
(ख) वह अपने आप ही जलता है।
६) वह मिट्टी से बनता है।
(वह कष्ट सहकर दूसरों को प्रकाश देता है।
(11) कवि मनुष्य को बेजान पदार्थों से भी हीन क्यों बता रहा है?
(क) मनुष्य स्वार्थी है।
(ख) दूसरों को दुख देता है।
(ग) दूसरों को सुख देता है।
(घ) झगड़ालू है।
(III) कवि मनुष्य को समय के साथ चलने की प्रेरणा किसलिए वे रहा है?
परंपरा का निर्वाह करने के लिए।
(ख) प्रशंसा प्राप्त करने के लिए।
(ग) उन्नति के लिए।
(घ) आधुनिकता के लिए।x
(iv) विश्व प्रवाह द्वारा कवि का संकेत किस ओर है?
(क) विश्व की प्रसिद्ध सभ्यताओं का लुप्त होना। (ख) विश्व पर अमेरिका का प्रभाव।
(ग) विज्ञान के कारण होने वाले परिवर्तन। (घ) प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव।
(१) मनुष्य की कार्य-कृति का डंग कैसा होना चाहिए?
(क) अपनी आवश्यकता के अनुसार।
(ख) अपने सामर्थ्य के अनुसार।
(ग) अपनी स्वार्थसिद्धि के अनुसार।
(a) समाज में हो रहे परिवर्तनों के अनुसार।​

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Answered by kiritpratiksha
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