Hindi, asked by Ezeal6jarika, 2 months ago

जवाहरलाल नेहरू के अंतिम इच्छा​

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Answered by priyanka658928
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वसीयतनामा एवं इच्छा पत्र : मुझे भारत के लोगों से इतना प्यार और स्नेह मिला है कि मैं इसका एक छोटा सा अंश भी उन्हें लौटा नहीं सकता, और वास्तव में स्नेह जैसी मूल्यवान चीज के बदले में कुछ लौटाया भी नहीं जा सकता। इस देश में कई लोगों की प्रशंसा की गई है, कुछ को श्रद्धेय समझा गया है, लेकिन मुझे भारत के सभी वर्गों के लोगों का स्नेह इतनी प्रचुर मात्रा में मिला है कि मैं इससे अभिभूत हूँ। मैं केवल आशा ही कर सकता हूँ कि जब तक मैं जीवित हूँ, मैं अपने लोगों और उनके स्नेह से वंचित न रहूँ।

अपने असंख्य साथियों और सहकर्मियों के प्रति मेरे मन में गहरा कृतज्ञता भाव है। हम कई महान कार्यों में सहभागी रहे हैं और हमने एक साथ सफलता का सुख और असफलता का दु:ख साझा किया है।

मैं पूरी ईमानदारी से यह घोषित करता हूँ कि मैं नहीं चाहता कि मेरी मृत्यु के बाद किसी भी तरह का धार्मिक अनुष्ठान किया जाये। मैं ऐसे किसी भी अनुष्ठान में विश्वास नहीं करता, अत: मेरी मृत्यु के बाद ऐसा करना वास्तव में पाखंड होगा तथा स्वयं को और अन्य लोगों को धोखा देने के समान होगा।

मैं चाहता हूँ कि जब मेरी मृत्यु हो तो मेरे शरीर का दाह संस्कार कर दिया जाये। यदि मेरी मृत्यु विदेश में होती है, तो मेरा दाह संस्कार वहीं कर दिया जाये और मेरी राख को इलाहाबाद भेज दिया जाये। इसमें से एक मुट्ठी भर राख गंगा में प्रवाहित कर दी जाये तथा और शेष राख का निपटान नीचे दर्शाये गए तरीके से किया जाये। इस राख का कोई भी हिस्सा न ही बचाकर रखा जाये और न ही संरक्षित किया जाये।

Answered by XdraghuvanshiXd
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