जवाहरलाल नेहरू ने कहा, "यह बात दिलचस्प है कि भारत अपनी कहानी की इस भोर-बेला में ही हमें एक नन्हें बच्चे की तरह नहीं, बल्कि अनेक रूपों में विकसित सयाने रूप में दिखाई पड़ता है।" उन्होंने भारत के विषय में ऐसा क्यों और किस संदर्भ में कहा है?
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जवाहरलाल नेहरू में सिंधु घाटी सभ्यता का वर्णन करते हुए माना कि भारत इस भोर बेला में नन्हे बच्चे की तरह नहीं है। उसका अतीत बहुत पुराना है। पुरानी सभ्यताओं का पता लगाया जा चुका है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से सिंधु घाटी सभ्यता मिली है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत में दूर दूर तक फैली थी। यह केवल सिंधु घाटी सभ्यता भर नहीं थी बल्कि उससे बहुत अधिक थी। भारत इससे पहले भी सांस्कृतिक लोगों का अग्रदूत था। उसके फा़रस, मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यता उसके साथ संबंध थे। वह उनके साथ व्यापार करता था। तब व्यापारी वर्ग संपन्न था। सड़कों पर दुकानों की कतारें थी। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई से इस प्राचीन समय की परंपराओं, रहन सहन के तरीके, रीति रिवाज, दस्तककारियों, पोशाकों के फैशन, सुंदर वस्तुओं का निर्माण ,हमामों और नालियों के तंत्र आदि का ज्ञान हुआ है, जिससे निश्चित होता है कि भारत तब भी अनेक रूपों में विकसित सयाने की तरह था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
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Jawaharlal Nehru Ne Kaha yah Baat Sach Hai Ki Bharat apni kahani ki is Bela Mein Hi Hamen Ek Nanhe Bacche Ki Tarah Nahin balki Anek Roop Mein viksit Roop Mein Dikhai padta hai unhone aisa isliye Kaha Kyunki vah bahut Kyunki vah bahut baten
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