Hindi, asked by tilak75, 1 year ago

Jawaharlal Nehru ke Jeevan ke bare mein likhe in Hindi​

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Answered by rheakaushik77
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Answer:

नेहरू जी के दादा दिल्ली के आखिरी कोतवाल थे,उन्होंने 1857 की क्रान्ति से पहले कोतवाल के तौर में काम शुरू किया था और अपने जीवन के अंतिम समय 1861 तक वो आगरा शिफ्ट हो गये थे.

नेहरू का जन्म कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था लेकिन उनका जन्मस्थान कश्मीर नहीं हैं. उनका पारिवारिक परिवेश समृद्ध,शिक्षित और राजनीतिक था,और उनके बाद उनकी पुत्री और दोहते भी क्रमश: राजनीति में सक्रिय थे.

1912 में इंग्लैंड से लौटने के 4 वर्षों बाद 26 वर्ष की उम्र में नेहरू ने कमला कॉल से शादी की,कमला इनसे 10 वर्ष छोटी थी. इस दंपत्ति की पहले 1917 में एक बेटी हुई, इसके बाद 1924 में कमला ने एक लड़के को जन्म दिया था लेकिन वो केवल एक सप्ताह ही जीवित रह सका. 1936 में स्विट्जरलैंड के लुसाने (Lausanne) में ट्यूबरकुलोसिस से इनकी पत्नी का देहांत हो गया.

नेहरूजी की बहिन विजयलक्ष्मी पंडित भी यूएन जनरल असेम्बली में महिला प्रेसिडेंट बनने वाली पहली भारतीय महिला थी.

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Early life and Education)

15 वर्ष की उम्र तक इनके लिए घर पर ही एक शिक्षक बुलाया गया. इसके बाद उन्हे पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया. इंग्लैंड में वो पहले हैरो स्कूल गए फिर कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गये,जहां से उन्होंने नेचुरल साइंस में ऑनर्स की डिग्री ली. उसके बाद उन्होंने लंदन के इनर टेम्पल में लॉ की पढाई की और 1912 में भारत लौटकर उन्होंने अपने पिता मोतीलाल नेहरू के साथ प्रैक्टिस शुरू की

जवाहर लाल नेहरू का राजनीतिक जीवन का प्रारम्भ (Jawaharlal Nehru: Political awakening)

1917 में सम्मानित थियोसोफिस्ट एनी बेसेंट की गिरफ्तारी के बाद नेहरू भी “ऑल इंडिया होम रूल लीग” में शामिल हो गए,इस संगठन का उद्देश ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त कर स्व-शासन लागू करना था.

जलियांवाला बाग हत्या कांड में हजारों देशवासियों को बिना कारण मौत के सुप्रद कर दिया गया. अमृतसर के इस नरसंहार(जिसमें 379 भारतीय मारे गए और हजारों से ज्यादा लोग घायल हो गए) की खबर नेहरू को ट्रेन में चलते हुए पता चली,इस जानकारी से वो काफी आहत हुए और भारत की आजादी के लिए उनका संकल्प और मजबूत हो गया.

वास्तव में ये हत्याकांड भारत के इतिहास में वो घटना थी जिससे कई क्रांतिकारियों का जन्म हुआ था, ऐसे में नेहरूजी का भी इस घटनाक्रम से प्रभावित होना स्वाभाविक था. इसके बाद नेहरू इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गये, वो गांधीजी के विचारों से बहुत प्रभावित हुए जो कि अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश में से अंग्रेजों को हटाकर स्वराज्य लाना चाहते थे.

1921 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं पर जब प्रतिबन्ध लगाया गया था,तब नेहरू पहली बार जेल गए थे और इसके बाद अगले 24 वर्षों में वो कुल 9 बार जेल गए. नेहरू ने जेल में मार्क्सवाद का अध्ययन किया,हालांकि उनकी रूचि फिलोसोफी में थी लेकिन इसके कुछ मेथड उन्हें पंसद नहीं थे, इस कारण नेहरू की इकॉनोमिक थिंकिंग मार्क्सिस्ट की हो गई, जिसे उन्होंने भारतीय पस्थितियों के साथ एडजस्ट किया.

इस तरह 1930 के दशक में, नेहरूजी ने सुभाष चंद्र बोस,गांधी जैसे बड़े नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर देश-हित में काम किया लेकिन बाद में वो बोस से अलग हो गए.

नेहरू जी और भारत की स्वतंत्रता (Marching Toward Indian Independence)

1928 में किये गये उनके भारत की मुक्ति के लिए आवश्यक स्ट्रगल के कई वर्षों बाद वो इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रेसिडेंट बने. बल्कि उस समय महात्मा गांधी ने इस उम्मीद के साथ नेहरू को आगे किया था कि इससे भारत का युवा वर्ग आगे आएगा. नेहरू भी गांधीजी की उम्मीदों पर काफी हद तक खरे उतरे,उन्होंने अगले वर्ष लाहौर में आयोजित इंडियन नेशनल कांग्रेस के ऐतिहासिक सेशन में भारत का स्वतंत्रता के लिए आवश्यक राजनीतिक लक्ष्य सबके सामने रखा. नवम्बर 1930 में लंदन में आयोजित राउंड टेबल कांफ्रेंस में उन्होंने ब्रिटिश और भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर स्वतंत्रता की रूपरेखा तैयार की.

1931 में नेहरूजी के पिता के देहांत के बाद उनकी कांग्रेस में सक्रियता और स्थान ज्यादा हो गया, वो गांधीजी के निकट हो गए और गाँधी-इरविन पैक्ट के दौरान भी वो वहाँ उपस्थित थे. मार्च 1931 में गांधी और इरविन के मध्य हुए इस समझौते के अनुसार इरविन सभी क्रांतिकारियों को रिहा करने के लिए राजी हुए जबकि गांधी ने असहयोग आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की. हालांकि दुर्भाग्यवश इस समझौते से ब्रिटिश नियंत्रित भारत में शांतिपूर्ण माहौल नही बन सका , और नेहरू और गांधी दोनों को 1932 की शुरुआत में एक और नागरिक अवज्ञा आंदोलन को चलाने की कोशिश के आरोप में जेल भेजा दिया गया. जिससे वो तीसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग नही ले सके.

हांलाकी तीसरे और अंतिम सम्मेलन के परिणामस्वरूप गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 बना, जिससे भारतीय प्रांतों में स्वायत्त सरकार की व्यवस्था के लिए चुनाव की घोषणा हुई. 1935 के अधिनियम में कानून में हस्ताक्षर किए जाने के बाद, भारतीयों ने नेहरू को गांधी के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में देखना शुरू कर दिया,जबकि वास्तव में गांधीजी ने नेहरू को 1940 के दशक तक अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में नामांकित नहीं किया था. गांधी ने जनवरी 1941 में नेहरू को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया.

Answered by babitachoudhary00260
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Explanation:

भारत में कई महान लोग पैदा हुए हैं और जवाहरलाल नेहरू उनमें से एक थे। वह बहुत महान व्यक्ति थे जो बच्चों को बहुत पसंद करते थे। वह बहुत मेहनती और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक प्रमुख वकील थे। पं. नेहरू का जन्म इलाहाबाद में 1889 में 14 नवंबर को हुआ था। वह अपनी महानता और भरोसेमंद होने की वजह से बहुत प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने घर पर ही प्राप्त की लेकिन वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए और वहां से क़ानून की पढ़ाई की।

भारत में कई महान लोग पैदा हुए हैं और जवाहरलाल नेहरू उनमें से एक थे। वह बहुत महान व्यक्ति थे जो बच्चों को बहुत पसंद करते थे। वह बहुत मेहनती और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक प्रमुख वकील थे। पं. नेहरू का जन्म इलाहाबाद में 1889 में 14 नवंबर को हुआ था। वह अपनी महानता और भरोसेमंद होने की वजह से बहुत प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने घर पर ही प्राप्त की लेकिन वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए और वहां से क़ानून की पढ़ाई की।वह महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और उनकी मेहनत ने उन्हें भारत की स्वतंत्रता के बाद पहला भारतीय प्रधानमंत्री बनने में सक्षम बनाया। उन्हें भारत के एक प्रसिद्ध आइकन के रूप में याद किया जाता है। उन्हें बच्चों द्वारा चाचा नेहरू कहा जाता था क्योंकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे।

भारत में कई महान लोग पैदा हुए हैं और जवाहरलाल नेहरू उनमें से एक थे। वह बहुत महान व्यक्ति थे जो बच्चों को बहुत पसंद करते थे। वह बहुत मेहनती और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक प्रमुख वकील थे। पं. नेहरू का जन्म इलाहाबाद में 1889 में 14 नवंबर को हुआ था। वह अपनी महानता और भरोसेमंद होने की वजह से बहुत प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने घर पर ही प्राप्त की लेकिन वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए और वहां से क़ानून की पढ़ाई की।वह महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और उनकी मेहनत ने उन्हें भारत की स्वतंत्रता के बाद पहला भारतीय प्रधानमंत्री बनने में सक्षम बनाया। उन्हें भारत के एक प्रसिद्ध आइकन के रूप में याद किया जाता है। उन्हें बच्चों द्वारा चाचा नेहरू कहा जाता था क्योंकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे।बच्चों के प्रति उनके प्यार और लगाव के कारण, भारत सरकार ने बच्चों के कल्याण, सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए हर साल मनाए जाने वाले जन्मदिन (14 नवंबर) को भारत में बाल दिवस और बाल स्वच्छता अभियान नाम से दो कार्यक्रम लागू किए हैं।

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