Jawaharlal nehru ki niyukti kiske dwara ki gayi pradhanmantri ke roop mein
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स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद में आज ही के दिन 14 नवंबर, 1989 को एक धनाढ्य वकील मोतीलाल नेहरू के घर हुआ था। उनकी मां का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। वह मोतीलाल के इकलौते पुत्र थे। नेहरू कश्मीरी वंस के सारस्वत ब्राह्मण थे। जवाहरलाल नेहरू ने 1912 में वकालत शुरू की। 1916 में उनकी शादी कमला नेहरू के साथ हुई। उन्हें आधुनिक भारत का रचयिता माना जाता था।
पंडित संप्रदाय से होने के कारण उन्हें पंडित नेहरु भी कहा जाता था। जबकि बच्चो से उनके लगाव के कारण बच्चे उन्हें चाचा नेहरु के नाम से जानते थे। उन्होंने छह बार कांग्रेस अध्यक्ष के पद (लाहौर 1929, लखनऊ 1936, फैजपुर 1937, दिल्ली 1951, हैदराबाद 1953 और कल्याणी 1954) को सुशोभित किया। हैरो और कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर 1912 में नेहरूजी ने बार-एट-लॉ की उपाधि ग्रहण की और वे बार में बुलाए गए। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में नेहरूजी 9 अगस्त, 42 को बंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रहे, जहां से 15 जून, 1945 को रिहा किए गए।
आजादी के पहले गठित अंतरिम सरकार में और आजादी के बाद 1947 में भारत के प्रधानमंत्री बने और 27 मई, 1964 को उनके निधन तक इस पद पर बने रहे। नेहरू के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थाई भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारु करना उनके मुख्य उद्देश्य रहे।
पंडित नेहरू शुरू से ही गांधीजी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार हुए। उन्होंने छह माह जेल काटी।
1935 में अलमोड़ा जेल में आत्मकथा लिखी। उन्होंने कुल नौ बार जेल यात्राएं की। उन्होंने विश्व भ्रमण किया और अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए। नेहरू ने पंचशील का सिद्धांत प्रतिपादित किया और 1954 में भारत रत्न से अलंकृत हुए नेहरूजी ने तटस्थ राष्ट्रों को संगठित किया और उनका नेतृत्व किया।