Hindi, asked by trudypereira888, 3 months ago

Jawani poem explanation

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जवानी कविता माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित ‘हिमकिरीटिनी’ काव्य संग्रह से ली गई है। चतुर्वेदी जी महान् राष्ट्रभक्त कवियों में से एक हैं। कवि चतुर्वेदी जी ने प्रस्तुत कविता में नौजवानों को संबोधित किया है और कहा है कि हे जवानी! वह तू ही तो है जो अपने अंदर उत्साह शक्ति और प्राणवत्ता को समेटे हुए है। कवि कहता है कि तू अपना तेज खो चुकी है। मैं तो जिधर भी अपनी नजर डालता हूँ मुझे वहाँ गति ही दिखाई देती है। फिर यह संभव नहीं है कि तू ठहर जाए। अगर इस गतिशील समय में तू ठहर गई तो तू दो शताब्दी पिछड़ जाएगी। कवि जवानी से कहते हैं कि तू बलिदान करने के लिए तत्पर रह। समर्पण की आवश्यकता होने पर तू पीछे मत हट। तू आलस्य का त्याग कर दे और क्रांति के लिए तैयार हो जा।

प्रस्तुत कविता में युवकों का आह्वान करते हुए उन्हें मातृभूमि के लिए बलिदान करने के लिए प्रेरित किया गया है। कवि कहता है कि हे नवयुवकों! तुम अपने आपको बलिदान करके इस धरती को कंपित कर दो तथा हिमालय के एक-एक कण के लिए स्वयं को समर्पित कर दो। युवकों को अपने ऊँचे संकल्पों के बल पर सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। कवि ने वृक्षों तथा फलों के माध्यम से युवाओं के मन में बलिदान का संकल्प लेकर सिर गर्व से उठाने की भावना जाग्रत करने का प्रयास किया है। यहाँ युवाओं को स्वाभिमान से जीने की प्रेरणा दी गई है। उन्हें कायर, स्वाभिमान से रहित और परतंत्र प्रकृति वाले कुत्तों जैसे व्यक्तियों के साथ जीवन-निर्वाह न करने को कहा गया है। कविता में कवि ने अपने पूर्वजों द्वारा दिखाए गए मार्ग को अपनाने के लिए युवाओं को प्रेरित किया है। हमारे पूर्वज देश के स्वाभिमान के लिए मर मिट गए हैं। युवक जिन स्थानों पर अपना बलिदान करते हैं, वे स्थान पृथ्वी के तीर्थ समझे जाते हैं। समय परिवर्तनशील है। समय का भूगोल हमेशा एक जैसा नहीं रहा। ब्रह्मांड ग्रह नक्षत्रों को अपनी गोद में लेकर घूमता है, वह भी खगोलीय विस्फोट की ही अमूल्य भेंट है। जो व्यक्ति प्रलय के स्वप्न देखते हैं उनके लिए विशाल पृथ्वी भी तरबूज जैसी छोटी वस्तु बन जाती है। अर्थात् इस धरती को भी दो टुकड़ों में विभाजित कर सकते हैं।

कवि कहते हैं कि हे युवकों! यदि तुम्हारा खून लाल नहीं है और तुम्हारे मुख पर ओज नहीं है तो तुम भारतमाता के पुत्र कहलाने के योग्य नहीं हो। तब तुम्हारा कंकाल देश के लिए किसी भी प्रकार काम नहीं आएगा। कवि कहते हैं कि चाहे वेदों के उपदेश हो या स्वयं देवताओं के मुख से निकली आकाशवाणी हो, अगर वह युवाओं में उत्साह नहीं जगाती तो वह निरर्थक है। यह संसार शस्त्र बल का नहीं है, दृढ़ संकल्प का है। किसी भी क्रांति का उद्देश्य समाज में परिवर्तन लाना होता है, जिसे दृढ़-निश्चय से प्राप्त किया जा सकता है। दृढ़ संकल्प से मर मिटने की भावना जाग्रत होने पर, ऐसे व्यक्ति अपने मार्ग से विचलित नहीं होते हैं। हे युवकों! जीवन में जवानी उसी का नाम है जो मृत्यु को उत्सव और उल्लासपूर्ण क्षण समझे। जीवन में बलिदान का दिन ही जीवन का सबसे उल्लासपूर्ण त्योहार होता है।

Answered by sainiharman020
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