जय हो सतलज बहन तुम्हारी लीला अचरज बहन तुम्हारी हुआ मुदित मन हटा खुमारी जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी तुम बेटी यह बाप हिमालय चिंतित पर, चुपचाप हिमालय प्रकृति नटी के चित्रित पट पर अनुपम अद्भुत छाप हिमालय जय हो सतलज बहन तुम्हारी!
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जय हो सतलज बहन तुम्हारी लीला अचरज बहन तुम्हारी हुआ मुदित मन हटा खुमारी जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी तुम बेटी यह बाप हिमालय चिंतित पर, चुपचाप हिमालय प्रकृति नटी के चित्रित पट पर अनुपम अद्भुत छाप हिमालय जय हो सतलज बहन तुम्हारी!
दिए गए गद्यांश का अर्थ निम्नलिखित है।
- संदर्भ
उपर्युक्त गद्य " हिमालय की बेटियां " पाठ से लिया गया है। लेखक नागार्जुन ने इस पाठ में भारत की नदियों गंगा, यमुना, सतलुज इनकी विशेषताएं बताने का प्रयत्न किया है।
- प्रसंग -
प्रस्तुत प्रसंग उस समय का है जब लेखक तिब्बत में थे, एक दिन उनका मन किसी काम में नहीं लग रहा था तो वे सतलुज के किनारे जाकर बैठ गए।
- व्याख्या
जब लेखक सतलुज के किनारे बैठे थे तो थोड़ी ही देर में सतलुज नदी का प्रवाह बढ़ गया तथा लेखक के पैर सतलुज में डूब गए , पानी हिलोरे देने लगा तथा लेखक में जैसे नहीं स्फूर्ति जागृत हो गई। उनका तन - मन खिल उठा।लेखक ने सतलुज को धन्यवाद दिया कि " मैं तुम पर बलिहारी हूं , तुम्हारी सदा जय हो , तुम हिमालय की बेटी हो क्योंकि तुम्हारा जन्म हिमालय से हुआ है। " वे सतलुज को अपनी बहन कहते है।
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Explanation:
जब लेखक सतलुज के किनारे बैठे थे तो सतलुज के पानी ने असर डाला और ये गीत गाने लगे अर्थ फ़ोटो में है