Hindi, asked by vedprakash328, 1 year ago

जय जवान जय किसान पर निबंध |Essay on Jai Jawan Jai Kisan in Hindi

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Answered by coolthakursaini36
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                                        “जय जवान जय किसान”

भूमिका:-> "भूखे पेट जंग नहीं लड़ी जाती"-"भूखे भजन न होय गोपाला" यह पंक्तियां किसी ने सत्य लिखी हैं। भूखे पेट  कोई कुछ नहीं कर सकता है। अन्न तैयार करता है हमारा किसान।

भारत एक कृषि प्रधान देश है भारत की अर्थव्यवस्था का एक हिस्सा कृषि पर आधारित है। किसान अपनी मेहनत से खेतों में अनोखा आता है और हर नागरिक का पेट भरता है।

भारत का किसान:-> प्रारंभ से ही खेती हमारा मुख्य पेशा रहा है। खेतों में जितना अंगिका उधना हमारा राष्ट्र मजबूत होगा। भारतीय किसान परिश्रम की जीती जागती मिसाल है प्रातः से लेकर शाम तक कठोर परिश्रम करता है खेतों की जुताई करना, बीज बोना, पानी देना, फसल काटना आदि सभी काम परिश्रम युक्त हैं। फसलों को पका हुआ देखकर उसका मन लहरा उठता है। किसान ही अन पैदा कर हमारी भूख मिटाते हैं। सोचिए अगर किसान खेतों में अन्न उगाना बंद कर दें तो हमारा क्या हाल होगा निश्चय ही किसानों के बलबूते पर ही हमारा अस्तित्व टिका हुआ है।

किसानों की दुर्दशा:-> किसानों का शोषण तो सदियों से होता आ रहा है पहले अंग्रेजी सरकार ने उसे चूसा फिर जमीदारों साहूकारों ने उसे दबाया। अब भारत में भी अदालती झमेले उसका कचुंबर निकालने पर तुले हैं।

आए दिनों हम अखबारों न्यूज़ चैनलों पर सुनते हैं कि किसानों ने आत्महत्या कर ली। हमें कृषि कार्य में सुधार लाना होगा। आज बहुत से किसान कृषि कार्यों को छोड़ रहे हैं जिस से आने वाले समय में हमारे देश में अन्न की कमी पड़ जाएगी और देश में हाहाकार मच जाएगा। सरकार ने बहुत सी योजनाएं चलाई हैं लेकिन भ्रष्टाचार के चलते असली किसानों तक उन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता है आते सब को मिलकर इस दिशा में कार्य करना होगा। ताकि किसानों को उनका हक मिल सकें।

उपसंहार:-> जब किसानों की दशा सुधरेगी तभी देश की दशा में सुधार होगा। इस देश के सच्चे शासक तो किसानी हैं हम सबको उनको आदर और सम्मान देना चाहिए।


Answered by BrainlyQueen01
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भारत की अधिकांश जनता गाँवों में रहती है। गाँववालों का मुख्य धंधा खेती है। इसलिए भारत की जनसंख्या में किसान अधिक हैं। किसानों की दशा बहुत अधिक विपत्तिग्रस्त है।

किसान चुपचाप दुःख उठाते हैं। यह सचमुच दुर्भाग्य की बात है कि जो सारे राष्ट्र को खिलाते हैं वे स्वयं भूखों मरते हैं।
पहले किसान धनी जमींदारों का खेत जोतते थे। जमींदार किसानों से ज्यादा मालगुजारी वसूल करते थे। जमीन की तरक्की के लिए वे रुपए खर्च नहीं करते थे।

किसानों को उपज के लिए वर्षा पर निर्भर करना पड़ता था। सिंचाई का कोई प्रबंध नहीं था। बाढ़ और सूखा बार-बार आते थे। इससे उन्हें बड़ा दुःख होता था। इस के अलावा किसान साल में छः महीने बेकार रहते थे। पर, बेकार समय के लिए कोई धंधा नहीं था। इन सबके फलस्वरूप भारतीय किसानों की दशा अधिक दुर्दशाग्रस्त थी।


भारतीय किसान युगों से गरीब हैं। इसलिए वे भाग्यवादी हो गए हैं। अब वे स्वयं सोचते हैं कि अपना भाग्य कैसे सुधारें।
भारतीय किसानों की एक विशेषता है, जिसका उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए। वे बहुत सीधे हैं। वे ईमानदार, अतिथि-सत्कार करनेवाले और उदार हैं।
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