जय जवान जय किसान speech in Hindi 15 lines
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जय जवान जय किसान पर निबंध |Essay on Jai Jawan Jai Kisan in Hindi!
सन् १९६५ की बात है । उत्तर-पश्चिम सीमा पर स्थित पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान ने हमारे देश पर चढ़ाई कर दी । उस समय लाल बहादुर शास्त्री हमोर देश के प्रधानमंत्री थे । नाटा कद और दुबला-पतला शरीर था उनका ।
भारतीय रक्त के प्यासे पाकिस्तानी सैनिकों ने समझा था कि उन्हें लीलने में देर न लगेगी, किंतु वे तो लोहे के चने निकले । उनकी नस-नस में देश-प्रेम भरा हुआ था । अपने देश पर आए मंकट की भीषणता का अनुभव कर उनके देश-प्रेम में उबाल आ गया ।
वे साहस के पुतले वन गए अपने उस छोटे शरीर से उन्होंने सिंह की-सी गर्जना की और पाकिस्तानी सैनिकों को ललकारा । ऐसे संकट काल में राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने की आवश्यकना थी । देश के किसी कोने में कोई नया उपद्रव न खड़ा हो जाए, इस पर ध्यान रखना आवश्यक था । इन प्राथमिकताओं को शास्त्रीजी ने महसूस किया ।
देश में भावनात्मक एकता स्थापित करने के लिए उन्होंने नारा लगाया- ‘जय जवान, जय किसान ।’ इस नारे ने जादू का सा असर किया भारतीय सैनिकों पर । इसका इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने अपनी जान की परवाह न कर पाकिस्तानी सैनिकों के दाँत खट्टे कर दिए और उनके गर्व को मिट्टी में मिला दिया ।
इतना ही नहीं, भारतीय हिंदू सैनिकों ने ही नहीं, उनके साथ भारतीय मुसलिम सैनिकों ने भी स्वदेश की रक्षा के लिए पाकिस्तानियों का डटकर सामना किया । इससे पाकिस्तान के हौसले पस्त हो गए । उसे विवश होकर अपनी रक्षा के लिए संधि करनी पड़ी । यह चमत्कार था ‘जय जवान, जय किसान’ नारे का । आज शास्त्रीजी हमारे बीच नहीं हैं, पर उनका दिया हुआ यह नारा हमेशा हमारा पथ-प्रदर्शन करता रहेगा ।
‘जय जवान, जय किसान’ हमारी विजय का नारा है । यह नारा राष्ट्रीय एकता का मूलमंत्र है । हमारे लिए इसका बहुत महत्त्व है- एक तो सैनिक दृष्टि से और दूसरा आर्थिक दृष्टि से । शास्त्रीजी ने जिस समय यह नारा दिया, उस समय उनके मस्तिष्क में एक ओर तो देश की सैनिक शक्ति में वृद्धि करने का प्रश्न था और दूसरी ओर देश की आर्थिक स्थिति को समुन्नत करने का ।
शास्त्रीजी ने इसीलिए ‘जवान’ और ‘किसान’ की विजय और सफलता का एक साथ उद्घोष किया । उन्होंने देश की दो प्रमुख समस्याओं पर अपनी दृष्टि केंद्रित की । अपने देशव्यापी अनुभव से उन्होंने महसूस किया कि यदि भारत सैनिक दृष्टि से सशक्त हो जाए और आर्थिक दृष्टि से स्वयं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में समर्थ हो जाए, तो सबल-से-सबल राष्ट्र भी उसका बाल बाँका नहीं कर सकता ।
Explanation:
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जय जवान जय किसान निबंध Jai Jawan Jai Kisan Essay in Hindi
शास्त्री जी ने यह नारा सन 1965 में भारत पाक युद्ध के दौरान दिया था जब वह तत्कालीन प्रधानमंत्री थे। इस नारे को देश का राष्ट्रीय नारा भी कहा जाता है । इस नारे के बोल यानी शब्दों पर गौर करें तो आपको मालूम पड़ेगा के नारा किस भाव से दिया गया है। इन चार शब्दों में क्या एहसास है ?!!
दरअसल यह नारा सरहद पर खड़े जवान एवं खेत में काम करते किसान की अटूट मेहनत एवं श्रम को दर्शाता है। यह नारा शास्त्री जी ने एक पब्लिक रैली के दौरान दिया था, जो की रामलीला मैदान में आयोजित थी।
उस दौरान भीषण युद्ध एवं भुखमरी चरम पर थी, शास्त्री जी ने देशवासियों में जोश लाने के लिए एवं प्रोत्साहन के लिए यह नारा लगाया था और उनके साथ साथ पूरे देश ने हुंकार भरी थी। इस नारे के बोल यानी शब्दों ने देश भर की जनता में उत्साह एवं आत्मविश्वास भरा था ताकि वह आगे आने वाली परेशानियों का डट कर सामना कर सके; और सही भी तो है, नेता या समाज के मार्गदर्शक हम में जोश नहीं भरेंगे तो और कौन भरेगा !!
बात रही जवान और किसान की तो हम लोग उनके योगदान की गिनती तो कर ही नहीं सकते हैं, चाह कर भी नहीं कर सकते हैं। इन का समाज में योगदान एवं उपलब्धियां अमूल्य है, अतुल्य हैं !!
सीमा पर खड़ा जवान एवं सैनिक अपनी जान की बाजी लगाकर हमारी रक्षा करता है, उस जवान का देश प्रेम निश्छल है, अमर है। उस सैनिक के घर पर भी पत्नी है, बच्चे हैं, मां बाप है, परंतु वह इन सब एहसासों में बंध कर नहीं रहना चाहता है।
वह अपनी धरती मां पर अपनी जान न्योछावर करना चाहता है। देश प्रेम बाकी सभी प्रेम के संबंधों और भावों से सर्वोपरि है, सर्वोच्च है। इस हद तक देश प्रेम की भावना मन में होना के व्यक्ति अपनी जान की ही परवाह ना करें, यह कोई आम बात नहीं है, यह कोई खास इंसान ही कर सकता है, आम व्यक्ति के बस की बात ही नहीं है।
सैनिक को अपने अंदर के सभी भाव लोभ, लालच, मोह, माया सभी को छोड़ना होता है, सभी से ऊपर उठना होता है और धरती माता को समर्पित होना पड़ता है, तभी जवान शब्द से संबोधित किया जाता है।
देश की सरहदों पर कभी बेहद गर्म तापमान तो कभी कड़कड़ाती ठंड के मौसम में हमारे देश के बहादुर जवान तैनात रहते हैं।हमारे देश के सभी जवान एवं शहीदों को कोटि-कोटि धन्यवाद, क्योंकि इन बहादुरो की वजह से ही हम अपने अपने घरों में सुरक्षित बैठे हैं, सुकून से जिंदगी बसर कर रहे हैं, अपने त्यौहार खुशी से मना रहे हैं। किसी बात की कोई परेशानी नहीं है, कोई तकलीफ नहीं है, किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है।
देश की सेना को तो हम जितना धन्यवाद दें उतना कम है, हमारे तुच्छ धन्यवाद के लिए यह लोग काम नहीं करते हैं, यह काम करते हैं धरती मां की रक्षा के लिए, अपने देश के लिए। बस जवानों को शत शत नमन।
वहीं दूसरी ओर बात करें किसान की, तो हमारे देश का किसान तो हमारे लिए अन्नदाता है। अगर किसान ना हो तो हमारे मुंह में खाने का एक निवाला भी ना जा पाए, हमारी थाली इतने व्यंजनों से ना सज पाए, अगर किसान की उपस्थिति ना हो तो अन्न का एक भी दाना पैदा ना हो पाए।
देश का किसान भी निस्वार्थ भाव से देश और देश के तमाम नागरिकों के लिए काम करता है, वह इस बात का ध्यान रखता है कि देश का एक भी नागरिक भूखा ना सोए। किसान के मन में जरा भी मोह, लालच नहीं होता है। वह निष्ठा भाव से देश के लिए, धरती के लिए काम करता है।
आज पूरे भारतवर्ष में जहां 1.3 बिलियन लोग हैं, सभी देश के किसान की वजह से ही रोटी खा पाते हैं, अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं। किसान हैं तो हमारे जीवन में पोषण है और पोषण है तो सेहत है, और आप यह भलीभांति तो जानते ही होंगे कि सेहत हजार नेमत, मतलब सेहत हो तो जिंदगी में बहार है, जिंदगी गुलजार है।