Hindi, asked by Abhishekrraj, 11 months ago

जय पै जु होइ अधिकार तो बिचार कीजै
लोक-लाज, भलो-बुरो, भले निरधारिए।
नन, श्रीन, कर, पग, सबै पर-बस भए
उतै चलि जात इन्हें कैसे के सम्हारिए।
'हरिचंद' भई सब भाँति सों पराई हम
इन्हें ज्ञान कहि कहो कैसे कै निबारिए।
मन में रहै जो ताहि दीजिए बिसारि, मन
आपै बस जामैं ताहि कैसे के बिसारिए।

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Answers

Answered by ryadav889999gmail
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Answer:

जय पै जु होइ अधिकार तो बिचार कीजै

लोक-लाज, भलो-बुरो, भले निरधारिए।

नन, श्रीन, कर, पग, सबै पर-बस भए

उतै चलि जात इन्हें कैसे के सम्हारिए।

'हरिचंद' भई सब भाँति सों पराई

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