जयेश-यहाँ प्रात:काल बच्चे मिलकर उद्घोष वाक्यों को बोलते हुए प्रात:काल गलियों में भ्रमण करते हैं। संस्कृत वाक्यों द्वारा अभिवादन और वार्ता करते हैं। स्थान-स्थान पर सामूहिक आयोजन होते हैं। संस्कृत-विद्वानों के सम्मान कार्यक्रम होते हैं। विद्यालयों में श्लोक पाठ प्रतियोगिता, नाटक प्रतियोगिता, प्रश्न मञ्च, कथाकथन, श्रुतिलेख, गीत प्रतियोगिता इत्यादि प्रतियोगिताएँ होती हैं। जब ये कार्यक्रम एक सप्ताह तक होते हैं, तो वह "संस्कृत सप्ताह’ कहा जाता है।
सुधीर-क्या ये प्रतियोगिताएँ सभी विद्यालयों में होती हैं?
जयेश- हाँ।
इन्द्रेश-उससे तो छत्रों के मध्य ही जागरूकता होती है। संस्कृत के प्रति समाज में प्रेम कैसे हो?
धीरज-उसके लिये हम इन प्रतियोगिताओं को समाज में भी आयोजित करें, तब वे भी सहभागी और जागरूक होंगे। शोभायात्रा तो निकालनी ही चाहिए।
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विद्यालयों में श्लोक पाठ प्रतियोगिता, नाटक प्रतियोगिता, प्रश्न मञ्च, कथाकथन, श्रुतिलेख, गीत प्रतियोगिता इत्यादि प्रतियोगिताएँ होती हैं। जब ये कार्यक्रम एक सप्ताह तक होते हैं, तो वह "संस्कृत सप्ताह’ कहा जाता है।
सुधीर-क्या ये प्रतियोगिताएँ सभी विद्यालयों में होती हैं?
जयेश- हाँ।
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संस्कृत दिवस:
संस्कृतस्य दिवस्य उपरी विद्यालेषु श्लोपाठप्रतियोगिता, नाटकप्रतियोगिता, प्रश्नमंच:, कथाकथनम्, श्रुतिलेख:, गीतप्रतियोगिता इत्यादय:प्रतियोगिता भवन्ति | जना: प्रात:काले संस्कृतवाक्यै: उद्घोष कुर्वन्ति |
एतेन कार्येण छात्राणाम् मध्ये जागरूकता भवन्ति | संस्कृतभाषाया: एव समाजे सस्कार: भवति | संस्कृत भाषायामेव ज्ञान विज्ञानस्य निधि अस्ति |
संस्कृत भाषायां लिखितं श्रीमद्भगवद्गीता सम्पूर्ण जगतं उपदिशति | अत: संस्कृतस्य प्रचार प्रसार: अस्माकं कर्तव्य: |