जयपुर उत्तराधिकार संघर्ष पर टिप्पणी लिखो?
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जयपुर का उत्तराधिकार शंकर 78 ईसवी में सवाई जय हिंद जय हिंद ने मीणाओं के महाराणा संग्राम सिंह की पुत्री चंद्र कुंवर बाई से विवाह किया था विवाह के पूर्व जयसिंह ने एक इतराना में पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें मैदान की राजकुमारी से उत्पन्न पुत्र हॉकी चाहे चाहे वह छोटा ही क्यों ना हो जयपुर के राज्य आसन पर बैठने की बात कही गई थी तत्पश्चात 17223 में जयसिंह की खींची रानी सूरज कुआं से एक पुत्र ईश्वर सिंह उत्पन्न हुआ और सन 2020 में मैदान की राजकुमारी चंद्र कुमार से एक पुत्र माधव सिंह उत्पन्न हुआ था जय सिंह के बाद माधव सिंह और ईश्वर सिंह के बीच उत्तराधिकार का संघर्ष निश्चित हो गया जय सिंह ने इस भाभी गृह युद्ध को बचाने के लिए सन 2019 में महाराणा संग्राम सिंह से रामपुरा का पट्टा माधव सिंह का नाम करवा लिया
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जयपुर उत्तराधिकार संघर्ष पर टिप्पणी निम्न प्रकार से लिखी गई है।
- सवाई जयसिंह ने 1708 में मेवाड़ के महाराणा की पुत्री चंद्रकुँवर बाई से विवाह रचाया। जयसिंह से विवश कर पूर्व एक इकरारनामे पर हस्ताक्षर करवाए गए थे कि केवल मेवाड़ की राजकुमारी से उत्पन्न पुत्र को ही जयर का सिंहासन दिया जाएगा चाहे वह छोटा ही क्यों न हो।
- सन 1722 में जयसिंह की रेनू सूरज कुंवर को पुत्र प्राप्ति हुई जिसका नाम ईश्वर सिंह रखा गया तथा 1728 में मेवाड़ की राजकुमारी चन्द्र कुंवर को भी पुत्र उत्पन्न हुआ जिसका नाम माधोसिंह रखा गया।
- महाराजा संग्राम सिंह ने गृह युद्ध से बचने के लिए रामपुरा का पट्टा माधोसिंह के नाम करवा लिया।
- संग्राम सिंह की मृत्यु के बाद ईश्वर सिंह को जयपुर की राज गद्दी मिली।
- माधो सिंह ने इकरारनामे के आधार पर जयपुर कि राजगद्दी का दावा किया इस प्रकार माधोसिंह व इश्वर सिंह के बीच गद्दी को लेकर संघर्ष शुरू हो गया।
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