जयशंकर प्रसाद की कविता भारत महिमा का भावार्थ
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उषा की पहली किरण हिमालय के पहाड़ों को भेदते हुए सर्वप्रथम भारतवर्ष में दिखाई देती है। सुबह की किरण हंसते हुए भारत का स्वागत करती है। हिमालय पर सूर्य की किरण पड़ने के कारण ओंस की बूंदें चमकने लगती है।
विश्व में सर्वप्रथम ज्ञान का आगमन भारत में हुआ। फिर रहा समस्त विश्व में। ज्ञान के कारण अंधकार दूर हो गई और सभी विश्व के लोग अंधकार से मुक्त हो गए।
यह कविता "भारत महिमा" जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई है। इसमें कवि कहते हैं कि हम भारतीयों ने पूरे विश्व में ग्यान का प्रसार किया है। जिसके कारण स्मग संसार आलोकित हो गया। अज्ञान रूपी अंधकार का विनाश हुआ और सम्पूर्ण सृष्टि से दुख शोक दूर हो गए। कवि यह कहना चाहता है कि हमे सदेव अपने देश और संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। जब भी आवश्यकता पड़े, अपने देश के लिए अपना सर्वस्व निशावर कर देने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।