जयशंकर प्रसाद की रचना एवं भाव पक्ष कला पक्ष
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Complete question: जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर लिखिए :
(अ) दो रचनाएँ (ब) भावपक्ष - कलापक्ष (स) साहित्य में स्थान
जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय निम्नलिखित है-
- जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के एक महत्वापूर्ण कवि और उपन्यासकार थे| वे छायावाद काल के प्रमुख कवि थे|
- रचनाएँ: कविता- आंसू, लहर, झरना, कामायनी; उपन्यास- कंकाल, तितली; कहानियां- गुंडा, पुरस्कार; नाटक- स्कंदगुप्त, चन्द्रगुप्त, एक घूंट, कामना
- भावपक्ष: जयशंकर प्रसाद ने अपनी कविताओं के माध्यम से प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति को जाहिर किया है| इनका गुणगान किया है और लोगों को शिक्षित किया है| उनकी रचनाओं से देशप्रेम जागृत होता है| उन्होंने अपने लेखन में प्रकृति, उमंग, उत्साह, इत्यादि, का उल्लेख किया है|
- कलापक्ष: उन्होंने अपनी कविताओं में छन्द, अलंकार, इत्यादि का प्रयोग किया है| उनकी रचना खड़ीबोली और ब्रजभाषा में है|
- साहित्य में स्थान: आधुनिक हिंदी साहित्य में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है| उन्होंने छायावाद की स्थापना की है|
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जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के महान कवियों में से एक हैं। उनकी रचनाओं में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उनकी रचनाओं में भाव पक्ष का महत्वपूर्ण स्थान है। वे अपनी कविताओं में भावों को बखूबी व्यक्त करते हैं। उनकी कविताओं में दुख, आकुलता, उत्साह, प्रेम आदि भावों को बहुत ही सुन्दर ढंग से व्यक्त किया गया है। इसलिए उन्होंने अपनी रचनाओं से अधिक से अधिक लोगों का मनोरंजन किया है।
जयशंकर प्रसाद की कला पक्ष भी उनकी रचनाओं में विशेष महत्व रखता है। वे अपनी कविताओं में चित्रों की तरह दृश्य बनाते हैं जो सभी के दिलों में छाया छोड़ जाते हैं।
उनकी रचनाओं में चित्रों का उपयोग भावों को दर्शाने के साथ-साथ वास्तविकता को भी बखूबी व्यक्त करता है। जयशंकर प्रसाद ने कविताओं में वर्णनात्मक भाव का भी बखूबी इस्तेमाल किया है।
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