जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित जागरण गीत का मूल प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए (उत्तर सीमा लगभग 100 शब्द)
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राष्ट्रीय जागरण – जयशंकर प्रसाद छायावादी काव्य आंदोलन के प्रथम और महत्वपूर्ण कवि हैं। काव्य धारा के रूप में छायावाद को एक निश्चित आकार देने में प्रसाद की विशिष्ट भूमिका रही है। चुकी प्रसाद छायावाद के कवि हैं ,इसलिए स्वाभाविक है कि छायावाद की प्रवृत्तियां के परिचय से प्रसाद को अच्छी तरह से समझा जा सकता है।
प्रसाद के काव्य की विकास यात्रा ‘ प्रेम पथिक ‘ 1910 से ‘ कामायनी ‘ तक है ‘ कानन कुसुम ‘ , ‘चित्रधारा ‘ ,’ झरना ‘ , ‘आंसू ‘ और ‘ लहर ‘ बीच की कृतियां है। ‘ झरना ‘ 1910 की निम्नलिखित काव्य पंक्तियों से छायावाद का आरंभ मिलता है –
” बात कुछ छिपी हुई है गहरी ।
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