jeevan aur mityu mein kya antar hai
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जीवन और मृत्यु मे अंतर है इतना
मृत्यु मे शहद रूपी रस है जितना
जीवन तो एक अभिशाप है
उसमे तो रस नही है इतना
जीवन मे मनुष्य कुछ पाता है कुछ खोता है
इस सब के बाद वो हंसता है या रोता है
परंतु मृत्यु मे पूर्णतया समाने से
वो एक शांत गहरी नींद सोता है
जीवन मे मनुष्य तेज़ी से होता है अमीर या ग़रीब
जिस तेज़ी से इस जग मे चलती है समीर
मृत्यु आने पर दिखाता है जो वीरता
वो प्राप्त करता है बहुमुल्य अमरता
जीवन जीने का नही मरने का नाम है
मृत्यु मरने का नही जीने का नाम है
परंतु मृत्यु की अमरता प्राप्त करने के लिए
अच्छे कार्य करना ही मनुष्य का काम है
मृत्यु मे शहद रूपी रस है जितना
जीवन तो एक अभिशाप है
उसमे तो रस नही है इतना
जीवन मे मनुष्य कुछ पाता है कुछ खोता है
इस सब के बाद वो हंसता है या रोता है
परंतु मृत्यु मे पूर्णतया समाने से
वो एक शांत गहरी नींद सोता है
जीवन मे मनुष्य तेज़ी से होता है अमीर या ग़रीब
जिस तेज़ी से इस जग मे चलती है समीर
मृत्यु आने पर दिखाता है जो वीरता
वो प्राप्त करता है बहुमुल्य अमरता
जीवन जीने का नही मरने का नाम है
मृत्यु मरने का नही जीने का नाम है
परंतु मृत्यु की अमरता प्राप्त करने के लिए
अच्छे कार्य करना ही मनुष्य का काम है
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यहां जीवन चाहिए हो तो मृत्यु के बिना नहीं हो सकेगा। एक अर्थ में अंधेरा प्रकाश का विरोधी भी है और एक अर्थ में सहयोगी भी। ये दोनों बातें ख्याल में रखना। विरोधी इस अर्थ में कि अंधेरे से ठीक उलटा है। सहयोगी इस अर्थ में कि बिना अंधेरे के प्रकाश हो ही न सकेगा।
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