Jeevan ki sarvottam punji mitrata h
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मित्रता जीवन की सर्वोत्तम पूंजी
गुरु के साथ कपट और मित्र के साथ छल नहीं करना चाहिए, ऐसा करने वाला प्रभु के क्रोध का भागी होता है, उसका कभी भी भला नहीं हो सकता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि मित्रता जीवन की सर्वोत्तम पूंजी होती है। मित्रता एक अनमोल रिश्ता है जिसके जैसा कोई नही है। मनुष्य अपने सम्पूर्ण जीवन में कई रिश्ते निभाता है। एक पुत्र या पुत्री, एक बाप, एक माँ, पति या पत्नी इत्यादि कई रिश्ते इंसान सामाजिक परिवेश में निभाता है। दोस्ती का रिश्ता ना जन्म से होता है और ना ही विवाह के बाद होता है। यह रिश्ता अटूट विश्वास और प्रेम से आता है।
हमारे जीवन के कई खट्टे मीठे पल दोस्तों के साथ गुजरे हुए होते है। दोस्ती की परिभाषा हर व्यक्ति के जीवन को साकार करती है। दुनिया में शायद ही ऐसा कोई शख्श हो जिसका कोई दोस्त ना हो। मित्रता या दोस्ती का सिलसिला स्कूल के दिनों से चलता है जो उम्र भर रहता है। बचपन से बुढ़ापे तक आपके दोस्त बनते रहते है। कोई उम्र भर के लिए दोस्त होता है, तो कोई केवल जवानी या स्कूल कॉलेज तक ही मित्रता निभाता है। उम्र के हर पड़ाव पर मित्र बनते है। स्कूल के दोस्त स्कूल तक या कॉलेज के दोस्त कॉलेज तक ही रहे, यह मित्रता नही है। सच्ची मित्रता सम्पूर्ण जीवन में रहती है। सच्चे दोस्त अच्छे और बुरे दोनों वक्त आपके साथ होते है। जब आपके खून के रिश्ते आपसे दूर होते है, तब आपका सच्चा मित्र ही काम आता है। मित्रता एक ऐसा सबन्ध है जो हमें नही बताया जाता और हम इसे चुनते है और यही आपके जीवन की सबसे बड़ी पूंजी होती है।
निष्कर्ष: मित्रता में गहराई होनी चाहिए। जितना गहरा रिश्ता होता है, उतनी ही मजबूत उसकी नींव होती है। दोस्ती के लिए यह जरूरी नही है कि दूसरा शख्श आपकी तरह सोच रखता हो। इसलिए विपरीत सोच वाले इंसानों के बीच भी मित्रता हो जाती है।
Explanation:
Answer: सच्ची मित्रता सम्पूर्ण जीवन में रहती है। सच्चे दोस्त अच्छे और बुरे दोनों वक्त आपके साथ होते है। जब आपके खून के रिश्ते आपसे दूर होते है, तब आपका सच्चा मित्र ही काम आता है। मित्रता एक ऐसा सबन्ध है जो हमें नही बताया जाता और हम इसे चुनते है और यही आपके जीवन की सबसे बड़ी पूंजी होती है।
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