Jeevan me khel kood ka mahatva
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really this is most most imp in our life bcz our body makes healthy and mostly blood is running and control on it. so one more imp is we are min changes to sick and many more...
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ज़िन्दगी में अक्सर खेल के महत्व को हम ध्यान नहीं देते हैं खेल में भाग लेने से सबसे पहले तो हमारे स्वास्थ्य पर उत्तम प्रभाव पड़ता है भागने से या क्रिकेट और टेनिस खेलने से हमारी सास लेने की योग्यता २ या ३ गुना बढ़ जाती है इसके अलावा, हमारे शरीर में हमारे रक्त का परिसंचरण भी सुधर जाता है खेलों में भाग लेने से, हमारा दिमाग भी ठंडा रहता है अगर हम कभी काम से बहुत थक जाएँ या काम के बोझ से छूट न ढूंढ पाये तो फूटबाल की गेंद को लात मारकर हम अपने दिमाग के हर भाग पर फिर से काबू पा सकते हैं
स्वस्थ रहने के अलावा, खेल में भाग लेने से हम दोस्ती और विश्वास के सहानुभूतियों को बड़ा सकते
हैं अक्सर कहा जाता है की खेल से ही बन्दे का असली रूप दिख जाता है मैं इस छोटी कहावत को पूरी तरह से मानता हूँ क्योंकि मैंने अपनी आंखों से अपने ही दोस्तों को खेल के मैदान पर बदलते हुए देखा है यह शायद इसलिए होता है क्योंकि मैदान पर मुकाबले पर हर खिलाड़ी का दिमाग इतना व्यस्त रहता है की वह बिना सोचे अपने को पराया बना देता है परन्तु मैं मानता हूँ कि दिन के अंत में, अतिरिक्त समय एक साथ खेलने के पश्चात लोगों के बीच प्यार की सम्भावना बढती है और क्यों न कभी कभी यहाँ वहां असम्मति हो- दोस्ती लडाई से दुश्मनी तो नहीं बन जाती ना?
आज भी कुछ समाजों में खेल को उतना महत्व नहीं दिया जाता है जितना ज़रूरी है माता पिता आज भी चाहतें हैं की उनका बेटा क्रिकेट खिलाड़ी की जगह डाक्टर बने या फिर फुटबॉल मारने की जगह घर के शांत वातावरण में किताब पड़े मैं इनकी रायों का सम्मान ज़रूर करता हूँ लेकिन मैं नहीं मानता कि शिश्य के लिए पूरी तरह से खेल बंद करना चाहिए खेल के महत्व को समाज के हर व्यक्ति को समझना चाहिए और इस संदेश को प्रसारण करने में अगर मैं कुछ कर सकता हूँ तो निह्स्संकोच होकर करूंगा
स्वस्थ रहने के अलावा, खेल में भाग लेने से हम दोस्ती और विश्वास के सहानुभूतियों को बड़ा सकते
हैं अक्सर कहा जाता है की खेल से ही बन्दे का असली रूप दिख जाता है मैं इस छोटी कहावत को पूरी तरह से मानता हूँ क्योंकि मैंने अपनी आंखों से अपने ही दोस्तों को खेल के मैदान पर बदलते हुए देखा है यह शायद इसलिए होता है क्योंकि मैदान पर मुकाबले पर हर खिलाड़ी का दिमाग इतना व्यस्त रहता है की वह बिना सोचे अपने को पराया बना देता है परन्तु मैं मानता हूँ कि दिन के अंत में, अतिरिक्त समय एक साथ खेलने के पश्चात लोगों के बीच प्यार की सम्भावना बढती है और क्यों न कभी कभी यहाँ वहां असम्मति हो- दोस्ती लडाई से दुश्मनी तो नहीं बन जाती ना?
आज भी कुछ समाजों में खेल को उतना महत्व नहीं दिया जाता है जितना ज़रूरी है माता पिता आज भी चाहतें हैं की उनका बेटा क्रिकेट खिलाड़ी की जगह डाक्टर बने या फिर फुटबॉल मारने की जगह घर के शांत वातावरण में किताब पड़े मैं इनकी रायों का सम्मान ज़रूर करता हूँ लेकिन मैं नहीं मानता कि शिश्य के लिए पूरी तरह से खेल बंद करना चाहिए खेल के महत्व को समाज के हर व्यक्ति को समझना चाहिए और इस संदेश को प्रसारण करने में अगर मैं कुछ कर सकता हूँ तो निह्स्संकोच होकर करूंगा
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