Hindi, asked by saransh228, 10 months ago

Jeevan Mein anushasan ka mahatva​

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Answered by shreshtha212
4

Answer:

मनुष्य अपने विशेष गुणों के कारण ही अन्य प्राणियों में श्रेष्ठ और महान् समझा और माना जाता है, उसके विशेषगुण हैं-चरित्र वल, विवेकशीलता, अनुशासन आदि अगर मनुष्य में ये गुण न हो तो वह पशु के समान समझा जायेगा। पशु से श्रेष्ठ रखने वाली मनुष्य की जितनी विशेषताएं हैं और उसके जो-जो गुण हैं, वे सभी अत्यन्त महान् और अद्भुत हैं। उसके सभी गुणों में उसका अनुशासन नामक गुण, ऐसा एक गुण है, जो उसे सचमुच में पशु से श्रेष्ठ और देवता की कोटि में रखने वाला है।

मनुष्य अनुशासन का पाठ अपने जीवन की शुरूआत से ही पड़ने लगता है। उसकी अनुशासन की पाठशाला उसका अपना घर-परिवार होता है। यहीं से वह अनुशासन का ‘क’, ‘ख’ पाठ पढ़ना शुरू कर देता है। इसके बाद वह अपने स्थानीय विद्यालय में अनुशासन सहित विद्याध्ययन आरंभ करता है। इस अवस्था में आकर वह अपने माता-पिता, अभिभावक सहित अपने परिवार के ही नहीं, अपितु विद्यालय के सभी शिक्षकों अनुशासन की शिक्षा प्राप्त करता है। इस प्रकार परिवार अनुशासन् की पहली सीढ़ी है, तो विद्यालय और शिक्षण-संस्थाएं दूसरी सीटी। इस तरह अनुशासन का धरातल क्रमशः फैलता-बढ़ता जाता है।

Answered by raviranjanmallick230
3

Answer:

BAHUT ZAYADA HAI

Explanation:

KIYU KE YAH EK BAR HI MILTA HAI AUR HAMHE ESEKO JINA CHAHIYE.

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