Jeevan Mein Naitik mulya ka mahatva 80 se 100 shabdon Mein anuchchhed likhiye
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हमारा संपूर्ण जीवन इस धरती पर ईश्वर का दिया हुआ तपस्वीक वरदान है। अगर हमनें इस पवित्र धरती पर पैर रखा है, तो हमे संपूर्ण जीवन जीने का पूरा-पूरा हक है।
अब इस जीवन काल -चक्र मे हमें बिना उलझे हुए यह सुनिश्चित करना होगा की अपनी जिंदगी किस तरह निर्वाहन करना है। इस धर्म संकट से निपटने के लिए सर्वप्रथम अपने दिल -दिमाग एवं आतंरिक विवेक से एक कठिन एवं सफल निर्णय लेना है, ऐसा निर्णय जो अपनी अंतरात्मा, स्वाभिमान, गुणवत्ता, सहिष्णुता, नैतिकता एवं अमूल्य गुणों को अपने अंदर निहित करता है । हमें अपनी जीवन-सीमा सुनिश्चित करना है की इस काल-चक्र संसार में अपनी जन्म से मृत्यु तक का दायित्व को सही एवं कर्मठ तरीकों से निर्वहन किया जाए।
हमें इस सांसारिक सुखों के लिए ईश्वर ने इस दुनिया में नही भेज है, इसी पराकाष्ठा पे अपनी व्यक्तित्व विशेष का सही एवं उपयुक्ता को अपनाते हुए, नैतिक, समाजिक, पारिवारिक एवं उपयोगित पहलूओ को ध्यान मे रखते हुए जीवन को वैकल्पिक विन्दुओ में केंद्रित करना चाहिए ।