Hindi, asked by niyatipgala, 1 year ago

Jeevan mein sadgi aur sayam ka mahtva

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Answered by kirtisingh01
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संयम स्वयं से प्यार करने का एक उपाय है। योगानुसार जिस व्यक्ति में संकल्प और संयम नहीं वह मृत व्यक्ति के समान है। ऐसा व्यक्ति ‍जीवनभर विचार, भाव और इंद्रियों का गुलाम बनकर ही रहता है। संयम और संकल्प के अभाव में व्यक्ति के भीतर क्रोध, भय, हिंसा और व्याकुलता बनी रहती है, जिसके कारण उसकी जीवनशैली अनियमित और अवैचारिक हो जाती है। 

मनुष्य संयम व सादगी को जीवन का आधार बनाएं: मुद््गल 

रामपुरकलां | मनुष्य का मन यदि संसार के सुख में लीन हो जाए तो वह दु:खी रहता है। यदि मन को ईश्वर की भक्ति में लगा दिया जाए तो मनुष्य को न केवल सांसारिक दु:खों से मुक्ति मिल जाएगी, बल्कि उसकी सभी विपत्तियां दूर हो जाएंगी। मनुष्य को संयम व सादगी को जीवन का आधार बनाना चाहिए। यह प्रवचन बुधवार को बामसौली गांव स्थित हनुमान मंदिर पर 4 जून से शुरू हुई भागवत कथा में कथा व्यास पंडित अशोक मुद्गल श्रद्धालुओं को सुना रहे थे। प्रवचन श्रंखला के दौरान मुदग्लजी ने बताया कि मृत्यु के समय पिता, भाई-बंधु जैसे संबंधी भी काम नहीं आते, इसके अलावा धन संपत्ति भी मनुष्य के साथ नहीं जाती। पुण्य कर्म ही मनुष्य के साथ जाते हैं। इस दौरान कथा के बीच-बीच में संगीतमयी भजनों की शानदार प्रस्तुतियों के दौरान श्रद्धालु भक्तिभाव में डूबकर नृत्य करते नजर आए। 

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